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भारत के बजाय ईरान में मेडिकल की पढ़ाई क्यों करते है भारतीय छात्र? सामने आई 4 वजहें, सुन फटी रह जाएंगी आंखें

Medical Education in Iran: ईरान और इजरायल के बीच चल रहे जंग की वजह से पूरी दुनिया में तनाव है और जिसका असर भारत पर भी पड़ता हुआ नजर आ रहा है। दरअसल, इजरायल के हवाई हमलों के बीच ईरान में भारतीय छात्र और नागरिक दोनों फंसे हुए हैं, जिन्हें अब सुरक्षित निकाला जा रहा […]

Medical Education in Iran (इन 4 वजहों से भारत के मुकाबले ईरान में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र)
inkhbar News
  • Last Updated: June 21, 2025 11:58:25 IST

Medical Education in Iran: ईरान और इजरायल के बीच चल रहे जंग की वजह से पूरी दुनिया में तनाव है और जिसका असर भारत पर भी पड़ता हुआ नजर आ रहा है। दरअसल, इजरायल के हवाई हमलों के बीच ईरान में भारतीय छात्र और नागरिक दोनों फंसे हुए हैं, जिन्हें अब सुरक्षित निकाला जा रहा है। भारतीयों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन सिंधु’ शुरू किया गया है। इसके तहत 110 भारतीय छात्रों को भारत लाया गया है। छात्र पहले तेहरान से सड़क मार्ग से अर्मेनिया पहुंचे और फिर यहां से विमान से भारत आए।

मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे छात्र

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, ईरान से लौटने वाले भारतीय छात्र यहां मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष के कारण छात्रों को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। हालांकि, अब यहां सवाल उठता है कि भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए ईरान क्यों जाते हैं। इस आर्टिकल में आज हम इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश करेंगे। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, ईरान में 10 हजार से ज्यादा भारतीय रहते हैं, जिनमें से 1500 से ज्यादा भारतीय छात्र हैं। इनमें से बड़ी संख्या में छात्र यहां मेडिकल की शिक्षा ले रहे हैं। ईरान में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे ज्यादातर छात्र जम्मू-कश्मीर से हैं।

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ईरान की इन यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं भारतीय छात्र

ईरान में एमबीबीएस के लिए शाहिद बेहेश्टी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज, इस्लामिक आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज, ईरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज, तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज, हमादान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज, गोलेस्तान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज और केरमान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज जैसे संस्थान काफी लोकप्रिय हैं। 

इन 4 कारणों की वजह से भारत की बजाय ईरान में पढ़ते हैं भारतीय छात्र

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, भारत में मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए नीट की परीक्षा को पास करना जरूरी है। भारत में करीब एक लाख मेडिकल सीटें हैं, जबकि हर साल 20 लाख से ज्यादा छात्र यहां दाखिले के लिए नीट देते हैं। ऐसे में सभी को दाखिला नहीं मिल पाता, जिसके चलते कई छात्रों को विदेश जाना पड़ता है। इसके अलावा, भारत के निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस करने में 50 लाख से 1 करोड़ रुपये का खर्च आता है। तो वहीं, दूसरी तरफ ईरान में पूरे एमबीबीएस कोर्स की फीस 15 लाख से 25 लाख रुपये है। इसके अलावा रहने और खाने का खर्च 10 हजार से 12 हजार तक है। सस्ती शिक्षा भारतीयों को यहां आकर्षित करती है।

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ईरान के मेडिकल विश्वविद्यालयों में प्रवेश NEET के आधार पर होता है। इस वजह से उन्हें कई तरह की प्रवेश परीक्षाएं नहीं देनी पड़ती हैं। इतना ही नहीं, यहां प्रवेश प्रक्रिया भी बहुत आसान है। इस वजह से भारतीयों को आसानी से प्रवेश मिल जाता है। विदेश में पढ़ाई करने से आपको अंतर्राष्ट्रीय एक्सपोजर मिलता है। मेडिकल छात्रों को कई देशों के छात्रों के साथ पढ़ने का मौका मिलता है। इतना ही नहीं, क्लीनिकल एक्सपोजर भी जल्दी मिल जाता है।

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