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नेपाल ने फिर दिया भारत को धोखा, चीनी कंपनी के साथ किया यह सौदा।

काठमांडू। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली लगातार भारत का अहित करते आ रहे हैं। पहले लिपुलेख एवं कालापानी जैसे भारतीय क्षेत्रों को अपने नक्शे में दिखाने का दुस्साहस किया, वहीं उस घटना के बाद केपी ओली लगातार भारत विरोधी टिप्पणी करते रहे हैं। इस बार भी नेपाल ने भारत के साथ एकतरफा व्यवहार करके […]

भारत को छोड़ चीनी कंपनी को दिया नेपाल ने ठेका
inkhbar News
  • Last Updated: November 15, 2022 14:04:22 IST

काठमांडू। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली लगातार भारत का अहित करते आ रहे हैं। पहले लिपुलेख एवं कालापानी जैसे भारतीय क्षेत्रों को अपने नक्शे में दिखाने का दुस्साहस किया, वहीं उस घटना के बाद केपी ओली लगातार भारत विरोधी टिप्पणी करते रहे हैं। इस बार भी नेपाल ने भारत के साथ एकतरफा व्यवहार करके चीन की ओर हाथ बढ़ाया है।

क्या है पूरा मामला?

नेपाली सेना ने भारत को एक तगड़ा झटका दिया है। भारतीय सीमा के निकट एक्सप्रेसवे बनने का ठेका अब एक चीन की विवादित कम्पनी को दे दिया है।
काठमांडू- तराई- मधेश क्षेत्र में पुल बनाने का ठेका नेपाल ने चाइना फर्स्ट कंपनी को दे दिय है। नेपाली सेना के इस फैसले को उनके देश के भीतर ही संदेह नजर से देखा जा रहा है। नेपाल ने पहले इस कंपनी को यह कहकर मना कर दिया था कि, उसके पास इस प्रॉजेक्ट को लेकर तकनीकी क्षमताओं की कमी है।

चीनी कंपनी की शिकायत के बाद दिया ठेका

जब इस पुल को बनने की बात कही गई तब नेपाल ने फर्स्ट हाइवे इंजीनियरिंग कंपनी को ठेका देने से यह कहकर मना कर दिया था कि इस कंपनी के पास पुल बनाने के लिए तकनीकी क्षमता नहीं है।
इस ठेके को लेकर क़रीब 15 कंपनियोंने टेंडर भरा ता लेकिन चीनी कंपनी के जीत जाने के बाद भारतीय कंपनी समेत कई कंपनियां सोचने पर मजबूर हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक टेंडर रिजेक्ट करने के बाद चीनी कंपनी की शिकायत पर नेपाल ने यह ठेका इस कंपनी को दे दिया है।

कोर्ट जाने की कर ली तैयारी

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली लगातार भारत के खिलाफ विवादित बयान दे चुके हैं. भारतीय कंपनी अफकोन्‍स इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर का दावा है कि, पूरी बोली के दौरान पारदर्शिता नहीं थी, उम्मीद की जा रही है कि अब इस पूरे मामले को प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के सामने उठाया जाएगा।
इस बोली प्रक्रिया में सभी को 15 दिनों का समय दिया गया था, तथा बाद में जाकर इस चीनी कंपनी को यह ठेका दे दिया गिया। भारतीय कंपनी ने कहा कि इस मामले को लेकर न्यायालय के समझ अपने विचार प्रस्तुत करेंगे