नई दिल्ली। इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी (आईआरसी) हर साल आपातकालीन निगरानी सूची जारी करती है, जिसमें उन देशों की पहचान की जाती है, जो मानवीय संकटों का सामना करने के सबसे ज़्यादा जोखिम में हैं। आइए जानते हैं कि इस साल इन देशों में क्या स्थिति है।
1. सूडान- देश में सूडानी सशस्त्र बलों (एसएएफ) और रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के बीच गृहयुद्ध ने गंभीर मानवीय संकट पैदा कर दिया है। यौन हिंसा, बाल सैनिकों की भर्ती और नागरिकों पर हमले जैसे मुद्दों के कारण देश में संकट बढ़ रहा है।
2. म्यांमार – 2021 में सैन्य शासन के बाद से म्यांमार में हिंसा और अस्थिरता बढ़ गई है। विद्रोही समूहों और सरकार के बीच संघर्ष के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। चक्रवात और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं स्थिति को और भी बदतर बना रही हैं।
3. सीरिया- सीरियाई संघर्ष 2011 में शुरू हुआ और अब अपने 14वें साल में है। बशर अल-असद की सरकार को विद्रोही समूहों ने उखाड़ फेंका है। देश में 13.8 मिलियन से ज़्यादा लोग विस्थापित हैं।
4. दक्षिण सूडान- दक्षिण सूडान संघर्ष, राजनीतिक अस्थिरता और बाढ़ जैसी समस्याओं से जूझ रहा है।
5. लेबनान- लेबनान में हिज़्बुल्लाह और इज़राइल के बीच संघर्ष ने 1.4 मिलियन से ज़्यादा लोगों को विस्थापित कर दिया है।
6. सोमालिया- सोमालिया में अल-शबाब के हमलों ने देश को और अस्थिर कर दिया है। देश 2021-2023 के भीषण सूखे से उबरने के लिए संघर्ष कर रहा है, जिससे भूख और कुपोषण के मामले बढ़ गए हैं।
7. यमन- यमन में 2015 से चल रहे गृहयुद्ध ने देश को भयंकर संकट में डाल दिया है। अकाल, बीमारी और बुनियादी ढांचे के ढहने से स्थिति और खराब हो गई है।
8. यूक्रेन- यूक्रेन पिछले ढाई साल से रूस के साथ युद्ध लड़ रहा है। इस दौरान उसके लाखों सैनिक मारे गए हैं। इस वजह से साल 2025 में यूक्रेन जाना अपनी जान गंवाने से कम नहीं है।
9. इजराइल – हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हमला किया, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच युद्ध छिड़ गया। यह मिडिल ईस्ट में सबसे गंभीर संकटों में से एक बन गया है, जिसने हजारों लोगों की जान ले ली है और भारी तबाही मचाई है।
रिपोर्ट के अनुसार, इजराइल समेत इन देशों की यात्रा जोखिमों से भरी है।
Also Read- क्या शरद पवार, क्या उद्धव ठाकरे… शिरडी पहुंचे शाह ऐसा दहाड़े, हिल उठा पूरा महाराष्ट्र!
डॉ. अंबेडकर थे PM बनने के असली हकदार, नेहरू संयोग से बने प्रधानमंत्री, बोले केंद्रीय मंत्री खट्टर