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UNSC: गाजा में संघर्ष विराम अभी संभव नहीं, अमेरिकी प्रस्ताव पर रूस-चीन ने किया वीटो

नई दिल्ली: गाजा में इजराइल लगातार बमबारी कर रहा है. इसी बीच खबर आ रही है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में संघर्ष विराम पर फिर एक बार आम सहमति नहीं बन पाई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीते बुधवार को रूस और अमेरिका ने यूएनएससी में दो अलग-अलग प्रस्ताव दिया, लेकिन दोनों प्रस्ताव खारिज […]

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  • Last Updated: October 26, 2023 07:05:04 IST

नई दिल्ली: गाजा में इजराइल लगातार बमबारी कर रहा है. इसी बीच खबर आ रही है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में संघर्ष विराम पर फिर एक बार आम सहमति नहीं बन पाई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीते बुधवार को रूस और अमेरिका ने यूएनएससी में दो अलग-अलग प्रस्ताव दिया, लेकिन दोनों प्रस्ताव खारिज हो गए. एक तरफ जहां अमेरिका ने रूस के प्रस्ताव के विरूद्ध वीटो किया. वहीं दूसरी तरफ रूस और चीन ने अमेरिकी प्रस्ताव को वीटो कर के खारिज कर दिया.

अमेरिका ने प्रस्ताव में किया मानवीय विराम का आह्वान

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में अमेरिका ने इजराइल-हमास युद्ध को लेकर अपने प्रस्ताव में मानवीय विराम का आह्वान किया है. अमेरिका ने युद्धविराम का आह्वान नहीं किया. साथ ही अमेरिका ने यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि सुरक्षा परिषद द्वारा पारित किए गए किसी भी प्रस्ताव में गाजा और इजराइल में की गई हिंसा के लिए हमास को दोषी ठहराया जाए. वहीं रूस की तरफ से लाया गया प्रस्ताव गाजा में युद्धविराम को लेकर केंद्रित था. बता दें अमेरिका के प्रस्ताव पर अल्बानिया, इक्वाडोर, फ्रांस, गैबॉन, जापान, घाना, माल्टा, ब्रिटेन और स्विट्जरलैंड ने पक्ष में मतदान किया. जबकि मोजाम्बिक और ब्राजील ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.

अमेरिकी प्रस्ताव को रूस ने बताया राजनीति से प्रेरित

रूस के राजदूत वासिली नेबेंज्या ने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका पर यूएनएससी के फैसलों को रोकने का प्रयास करने का आरोप लगाया है. ताकि गाजा पर इजराइल द्वारा किए जा रहे हमले पर कोई प्रभाव न हो और इजराइल लगातार गाजा पर हमले करता रहे. इतना ही नहीं उन्होंने अमेरिका पर युद्ध विराम का आह्वान करने में असफल रहने और गाजा में फिलिस्तीनी नागरिकों पर किए जा रहे हमलों की निंदा को शामिल नहीं करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यूएनएससी में लगाया गया प्रस्ताव पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है. इस दस्तावेज का स्पष्ट उद्देश्य मध्य पूर्व क्षेत्र में अमेरिका की राजनीतिक स्थिति को मजबूत करना है.

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