नई दिल्ली. पाकिस्तान की सरकार ने मंगलवार को बाबा गुरु नानक की 550 वीं जयंती मनाने के लिए सिक्के जारी किए. ये सिक्के भारत के सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर कॉरिडोर खोलने के बाद सभी के लिए उपलब्ध होंगे. जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र के फैसले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के साथ ही करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन एक बड़ी पहल बन गया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में 50 रुपये (पाकिस्तानी रुपये) का सिक्का, करतारपुर साहिब में उपलब्ध होगा, जो यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को पीकेआर 8 के डाक टिकट के साथ उपलब्ध होगा.
स्मारक सिक्का 9 नवंबर 2019 को करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के दिन सिख तीर्थयात्रियों के लिए उपलब्ध होगा. करतारपुर कॉरिडोर सिख समुदाय के लिए बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नारोवाल जिले में स्थित सबसे पवित्र स्थल है. इससे भारत के सिख तीर्थयात्रियों को पवित्र स्थल पर धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए वीजा-मुक्त प्रवेश की अनुमति होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 नवंबर को गलियारे का उद्घाटन करेंगे. पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान उद्धाटन करेंगे. उन्होंने ननकाना साहिब में बाबा गुरु नानक विश्वविद्यालय की नींव भी रखी.
एक फेसबुक पोस्ट में, प्रधान मंत्री इमरान खान ने सिक्के की एक तस्वीर साझा की. इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान गुरु नानक देवजी की 550 वीं वर्षगांठ के अवसर पर स्मारक सिक्का जारी करता है. बता दें कि वर्ष 2019 सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 550 वीं जयंती वर्ष है, जिनका जन्मस्थान पाकिस्तान में श्री ननकाना साहिब है. पिछले नवंबर में, भारत और पाकिस्तान, दोनों ने गुरुद्वारा दरबार साहिब के अंतिम विश्राम स्थल को जोड़ने के लिए करतारपुर कॉरिडोर स्थापित करने पर सहमति जताई, जो पंजाब के गुरुद्वारा जिले में डेरा बाबा नानक के साथ करतारपुर के पाकिस्तानी शहर में है.
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करतारपुर साहिब डेरा बाबा नानक तीर्थ से लगभग चार किलोमीटर दूर रावी नदी के पार पाकिस्तान के नरोवाल जिले में स्थित है. पाकिस्तान ने पवित्र तीर्थयात्रा पर जाने वाले बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों की निकासी प्रक्रिया को तेज करने के लिए करतारपुर कॉरिडोर में 80 इमिग्रेशन काउंटर स्थापित किए हैं. दोनों देशों के बीच करतारपुर कॉरिडोर को लेकर होने वाला यह समझौता प्रतिदिन 5,000 भारतीय तीर्थयात्रियों को गुरुद्वारा दरबार साहिब जाने की अनुमति देगा, जहां गुरु नानक ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे.