Canada Intelligence Report : भारत के खिलाफ पाक की एक और साजिश का खुलासा दुनिया के सामने हुआ है। और इस बार ये खुलासा कनाडा की खुफिया एजेंसी CSIS की तरफ से किया गया है।
सीएसआईएस की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की बढ़ती वैश्विक हैसियत को कमजोर करने और भारत विरोधी साजिशों को अंजाम देने के लिए पाक ने कनाडा की धरती का इस्तेमाल कर रहा है।
सीएसआईएस की 2024 पब्लिक रिपोर्ट और भी कई बड़े खुलासे हुए हैं, जिनमें कनाडा में राजनीतिक और सुरक्षा हितों को बढ़ावा देने की कोशिश और कनाडा के चुनावों में भी दखलंदाजी के बारे में भी बताया गया है।
कनाडा के चुनावों में पाक का हस्तक्षेप
सीएसआईएस की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने कनाडा के संघीय और प्रांतीय चुनावों में गुप्त रूप से हस्तक्षेप करने की कोशिश की, ताकि ऐसे नेताओं को बढ़ावा दिया जा सके जो भारत के बजाय पाकिस्तान के समर्थक माने जाते हैं। इससे साफ पता चलता है कि पाकिस्तान, जहां लोकतंत्र सिर्फ नाम के लिए है, दूसरे देशों में भी ऐसी ही स्थिति चाहता है।
सीएसआईएस ने इसे विदेशी हस्तक्षेप का सबसे घिनौना रूप बताया है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान कनाडा में रहने वाले अपने आलोचकों और असंतुष्टों को दबाने के लिए भी गैरकानूनी तरीकों का सहारा ले रहा है।
खालिस्तानी उग्रवादियों रिपोर्ट में जानकारी
इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि पाकिस्तान भविष्य में कनाडा में विभिन्न स्तरों पर सरकारों, सांस्कृतिक-धार्मिक समूहों और मीडिया को निशाना बना सकता है, खासकर चुनाव उम्मीदवार चयन प्रक्रिया में हस्तक्षेप करके।
इस रिपोर्ट में पहली बार कनाडा की खुफिया एजेंसी ने खालिस्तानी आतंकवादियों के भारत विरोधी इरादों के बारे में खुलकर बात की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ सक्रिय लोग कनाडा को अपना आधार बनाकर भारत में हिंसा की फंडिंग, योजना और प्रचार कर रहे हैं।
भारत ने लगाई कनाडा को लताड़
कनाडा में दक्षिण एशियाई मूल के लोगों की बड़ी आबादी को देखते हुए रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यहां पाकिस्तान समर्थक या भारत विरोधी समूहों के लिए जमीन तैयार करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, इसी रिपोर्ट में भारत को ‘विदेशी हस्तक्षेप’ करने वाला देश भी बताया गया है, जिसे भारत सरकार ने पूरी तरह से निराधार और तथ्यहीन बताया है।
भारत में शीर्ष सरकारी और खुफिया सूत्रों ने कहा कि यह रिपोर्ट जानबूझकर ‘अलगाववादी लॉबी को खुश करने’ और अपनी धरती पर खुलेआम सक्रिय खालिस्तान समर्थक चरमपंथी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने में कनाडा की विफलता से ध्यान हटाने के लिए तैयार की गई थी।