Bilawal Bhutto Zardari : दुनिया में हर कोई जानता है कि आतंकवाद की जड़ें किस देश में कितनी गहराई तक जमी हुई हैं। भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान के चेहरे से बची-खुची शालीनता का मुखौटा भी उतार दिया है।
ऐसे में पाकिस्तान कभी खुद को आतंकवाद का शिकार बता रहा है तो कभी यह स्वीकार कर रहा है कि उसकी धरती पर आतंकवाद की नस्ल पनप रही है। हैरानी की बात यह है कि इस बार पीपीपी नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने आतंकवाद के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी ने अपने वाशिंगटन दौरे के दौरान अफगानिस्तान और आतंकवाद को लेकर ऐसा बयान दिया है, जो अमेरिका को नुकसान पहुंचा सकता है। बिलावल भुट्टो जरदारी ने पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा समस्याओं के लिए अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका और क्षेत्रीय स्थिति को जिम्मेदार ठहराया है। एक तरफ डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान को क्लीन चिट देना चाहते हैं तो दूसरी तरफ बिलावल अमेरिका को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
बिलावल का आरोप है कि जब अमेरिका ने जल्दबाजी में अफगानिस्तान से वापसी की तो उसने वहां बड़ी मात्रा में सैन्य उपकरण छोड़ दिए। उनका दावा है कि ये हथियार अब आतंकी समूहों के हाथों में पहुंच गए हैं और वे इनका इस्तेमाल पाकिस्तान के भीतर सुरक्षा बलों के खिलाफ कर रहे हैं।
उन्होंने कहा- ‘आपको जानकर हैरानी होगी कि कई बार जब हम पाकिस्तान की सीमा के भीतर आतंकियों से लड़ते हैं तो उनके पास ऐसे हथियार होते हैं जो हमारी पुलिस के पास भी नहीं होते।’ बिलावल का सीधा इशारा डोनाल्ड ट्रंप के साल 2020 के फैसले की ओर था।
बिलावल ने अफगानिस्तान में आतंकवाद से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय सहयोग की जरूरत पर जोर दिया। यह भी दिलचस्प है कि वह तालिबान की बात तो कर रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान की भूमिका पर चुप हैं, जो सालों से आतंकी संगठनों को पनाह देता रहा है। बिलावल भुट्टो के इस बयान को सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी ही नहीं बल्कि एक सोची-समझी रणनीतिक कोशिश भी माना जा सकता है, जिसमें पाकिस्तान खुद को आतंकवाद का शिकार बताकर अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहानुभूति और सहयोग चाहता है।
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