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मालदीव को जल्द निगल जाएगा समंदर, बढ़ते जलस्तर से खतरे में द्वीपों का अस्तित्व

दुनिया भर में समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे तटीय इलाकों और छोटे द्वीपीय देशों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है।

Maldives existence of islands in danger
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  • Last Updated: September 6, 2024 20:28:50 IST

नई दिल्ली: दुनिया भर में समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे तटीय इलाकों और छोटे द्वीपीय देशों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है। इनमें से एक है मालदीव, जहां के कई द्वीप धीरे-धीरे डूब रहे हैं। बढ़ते जलस्तर और भयानक तूफानों के कारण मालदीव के निवासियों और सरकार के लिए यह एक गंभीर चुनौती बन गई है।

मालदीव के 1200 द्वीप खतरे में

मालदीव में करीब 1200 छोटे-छोटे द्वीप हैं, जो हिंद महासागर में फैले हुए हैं। यह देश अपनी प्राकृतिक खूबसूरती, सफेद रेत के बीच, और समुद्री जीवन के लिए जाना जाता है। लेकिन समुद्र के बढ़ते जलस्तर और समुद्री कटाव की वजह से अब इन द्वीपों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।

नई तकनीक से मालदीव को बचाने की कोशिश

इस संकट से निपटने के लिए अमेरिकी और मालदीवी वैज्ञानिक मिलकर नई तकनीक पर काम कर रहे हैं। वे समुद्री ‘दीवारें’ बना रहे हैं जो समुद्र की लहरों को रोकने में मदद करेगी। इसके लिए वे समुद्र के तल से बालू निकालकर उसे समुद्र किनारे के बीच पर फैला रहे हैं। इस तकनीक से न केवल कटाव को रोका जा सकेगा, बल्कि बीच भी प्राकृतिक रूप से मजबूत होंगे।

प्राकृतिक समाधान पर जोर

वैज्ञानिक सिर्फ तकनीकी समाधानों पर ही निर्भर नहीं हैं, बल्कि प्राकृतिक समाधान भी ढूंढ रहे हैं। उनमें से एक है प्रवाल भित्तियों (Coral Reefs) को पुनर्जीवित करना, जो समुद्र की लहरों की ताकत को कम करने में मदद करती हैं। साथ ही, मैंग्रोव पेड़ों की खेती भी एक और प्राकृतिक समाधान है, जो तटों को कटाव से बचाने में मदद करती है।

जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए वैश्विक प्रयास

मालदीव के इस संघर्ष को वैश्विक समर्थन भी मिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन छोटे द्वीपीय देशों के लिए विशेष योजनाएं बना रहे हैं ताकि उन्हें जलवायु परिवर्तन से बचाया जा सके। मालदीव के राष्ट्रपति ने भी कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाया है और बड़े देशों से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की अपील की है।

भविष्य की उम्मीद और चुनौती

मालदीव के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण है, लेकिन वैज्ञानिकों के प्रयास और नई तकनीक के साथ-साथ प्राकृतिक समाधानों से कुछ उम्मीदें जगी हैं। हालांकि, अगर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को जल्द नहीं रोका गया, तो मालदीव जैसे छोटे द्वीपीय देशों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।

 

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