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शेख हसीना को वापस भेजो वरना…,यूनुस सरकार ने भारत को दी धमकी घसीटकर ले जाएंगे

बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत से वापस लाने के लिए अपने प्रयास जारी रखेगी और जरूरत पड़ने पर अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की भी मांग करेगी.

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  • Last Updated: January 22, 2025 14:09:48 IST

नई दिल्ली: बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत से वापस लाने के लिए अपने प्रयास जारी रखेगी और जरूरत पड़ने पर अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की भी मांग करेगी.

‘शेख हसीना को वापस भेजो’

ढाका की एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अंतरिम सरकार में कानूनी मामलों के सलाहकार आसिफ नजरूल ने यहां सचिवालय में संवाददाताओं से कहा कि अगर भारत हसीना को वापस भेजने से इनकार करता है, तो यह बांग्लादेश और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि का उल्लंघन होगा. शेख हसीना जो पिछले साल 5 अगस्त 2024 से भारत में रह रही हैं. एक बड़े छात्र आंदोलन के दबाव में 16 साल पुरानी अवामी लीग (AL) सरकार गिरने के बाद वह भारत गई थीं.

गिरफ्तारी वारंट जारी

बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरण (ICT) ने “मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार” के लिए हसीना और कई पूर्व कैबिनेट मंत्रियों, सलाहकारों, सैन्य और नागरिक अधिकारियों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. बांग्लादेश ने पिछले साल भारत को एक राजनयिक नोट भेजकर हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की थी. नजरूल ने कहा, ”हमने प्रत्यर्पण के लिए पत्र लिखा है. अगर भारत हसीना का प्रत्यर्पण नहीं करता है तो यह बांग्लादेश और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि का स्पष्ट उल्लंघन होगा. उन्होंने कहा कि ऐसे में विदेश मंत्रालय इस मामले को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने उठाने के लिए जरूरी कदम उठाएगा. कानूनी सलाहकार ने कहा कि विदेश मंत्रालय भी प्रयास कर रहा है और ‘रेड अलर्ट’ पहले ही जारी किया जा चुका है.

अंतरराष्ट्रीय समर्थन की धमकी

नज़रूल ने कहा, “हम वह सब कुछ कर रहे हैं जो हम कर सकते हैं. सरकार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस लाने के लिए सभी प्रयास जारी रखेगी. यदि आवश्यक हुआ तो अंतरराष्ट्रीय समर्थन मांगा जाएगा. भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों के अनुसार, यदि अपराध ‘राजनीतिक चरित्र’ का हो तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है. एक अन्य प्रावधान के अनुसार, किसी व्यक्ति को तब तक प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता जब तक कि उसे चार महीने या उससे अधिक की अवधि के लिए कारावास या अन्य प्रकार की हिरासत की सजा न दी गई हो।

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