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कभी पॉलिश करते थे जूते, अनोखी है इस देश के नए राष्‍ट्रपति की कहानी…

नई दिल्ली: ब्राजील में बीते कुछ समय पहले ही राष्ट्रपति चुनावों में “लूला दा सिल्वा” ने बोलसोनारो को हराकर तीसरी बार प्रेजिडेंट बनने में अपना सफलता हासिल की है. लूला दा सिल्वा का सफर काफी मुश्किल भरा रहा है. आइए जानते हैं उनके राजनीतिक सफर के बारे में…. ब्राजील में हाल ही में हुए राष्ट्रपति […]

Lula da Silva
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  • Last Updated: November 1, 2022 14:17:13 IST

नई दिल्ली: ब्राजील में बीते कुछ समय पहले ही राष्ट्रपति चुनावों में “लूला दा सिल्वा” ने बोलसोनारो को हराकर तीसरी बार प्रेजिडेंट बनने में अपना सफलता हासिल की है. लूला दा सिल्वा का सफर काफी मुश्किल भरा रहा है. आइए जानते हैं उनके राजनीतिक सफर के बारे में….

ब्राजील में हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनावों के परिणाम आ गए हैं. अब ब्राजील के नए राष्ट्रपति वामपंथी नेता लूला दा सिल्वा होंगे. हालांकि बोलसोनारो यह चुनाव बहुत कम वोट से हारे हैं. फिलहाल दुनियाभर में नए राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा की चर्चा हो रही है. इसकी वजह उनका अतीत है. एक आदमी जो कभी जूते पॉलिश करता था वह आज ब्राजील का राष्ट्रपति बन गया है. आइए आपको बताते हैं लूला दा सिल्वा का सफर के बारे में..

गरीब परिवार में हुआ था जन्म

लूला दा सिल्वा का सफर काफी हद तक फिल्मी लगती है. साल 2018 में लूला दा सिल्वा पर करप्शन के आरोप लगने पर उन्हें जेल जाना पड़ा. जेल जाने की वजह से उनसे वोटिंग के हक भी छीन लिए गए. लूला दी सिल्वा के पिता किसान थे और घर में कुल 7 भाई-बहन थे. परिवार बड़ा होने की वजह से गुजारा मुश्किल से होता था. जब उनकी उम्र 7 साल थी तो उनका पूरा परिवार काम की खोज में ब्राजील के औद्योगिक केंद्र साओ पॉलो में आकर रहने लगा।

घर चलाने के लिए किए ऐसे काम

साओ पॉलो आकर लूला का स्ट्रगल शुरू हुआ. यहां उन्होंने पॉलिटिक्स में कदम रखने से पहले 14 साल तक ऐसे काम किए जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते. उन्होंने यहां अपने घर चलाने के लिए जूते पॉलिश और मूंगफली बेचने का काम किया। फिर इनकी जिंदगी में अचानक यू-टर्न आया. वर्ष1970 की बात है जब तानाशाही शासन के दौरान ही इन्होंने राजनीति में एंट्री की।

1980 में अपनी पार्टी का गठन किया

अपनी वर्कर्स पार्टी का गठन इन्होंने 1980 में किया. लूला 9 साल बाद वह राष्ट्रपति पद के दावेदार भी बन गए थे. लूला ने राष्ट्रपति पद के लिए तीन चुनाव लड़े लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। साल 2002 में उनकी किस्मत ऐसी पलटी कि वह पहली बार देश के राषट्रपति चुने गए।

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