International Women’s Day: आज दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर आज जानेंगे हम उन महिलाओं के बारे में जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सेक्स स्लेव बनाकर रखा गया था, फिर भी इन महिलाओं ने जीने की उम्मीदें नहीं छोड़ी और उठ खड़ी हुईं।
भयावहता की वह कहानी
साल 1942 में जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था तो फिलीपींस की रहने वाली 14 साल की फेडेंसिया नकार डेविड अपनी दादी के साथ बाजार में सामान खरीद रहीं थीं। तभी दो जापानी सिपाही ने उन्हें पकड़ लिया और उसका कान काट दिया फिर उसे उठाकर ले गए। फेडेंसिया जापान के सरकारी दफ्तर में ले गए और कई सिपाहियों ने मिलकर उनका रेप किया। इस दफ्तर में उनके जैसी कई लड़कियां थीं।
बूढ़ी होने तक किया बलात्कार
फेडेंसिया समेत उन लड़कियों को 10 तक वहीं रखा गया। यहाँ दिन में उन सबसे काम करवाया जाता था फिर रात में जापानी शाही एक-एक करके उसका रेप करते। फेडेंसिया जब बाद में अपने घर पहुंची तो
जापानी सिपाही वहां भी पहुंच गए। उन्होंने उनकी दादी को गोली मार दी और एक महीने तक उसके घर आकर उसका रेप करते रहे। जब तक ये लड़कियां बूढ़ी नहीं हो गईं, उनके साथ रेप होता रहा।
रात होते ही करने लगते थे बलात्कार
फेडेंसिया समेत अन्य महिलाएं कई सालों तक केस लड़ती रहीं। जापान के हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गईं लेकिन हर जगह उन्हें निराशा हाथ लगी। बाद में साल 2023 में UN कमेटी एलिमिनेशन ऑफ़ डिस्क्रिमिनेशन अगेंस्ट वीमेन ने माना कि इनके साथ गलत हुआ है। इन महिलाओं के सिटिजनशिप राइट्स का उल्लंघन किया गया। जापानी सैनिकों की शिकार नार्सिसा क्लेवरिया उन दिनों को यादकर रोने लगती हैं। उनका कहना है कि उस समय हम सब एक नारकीय जिंदगी जी रहे थे। सैनिकों की यौन संतुष्टि का साधन थे। 12 साल की थी और रात होते ही वो सब हमारा बलात्कार करना शुरू कर देते थे।
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