नई दिल्ली: क्या आप उस इमारत के बारे में जानते हैं जिसे दुनिया की सबसे पतली बिल्डिंग का दर्जा दिया गया है. अमेरिका के मैनहट्टन में स्थित ये गगनचुंबी टावर दुनियाभर में आखिर इतना क्यों मशहूर है. आइए जानते हैं।
स्टेनवे टॉवर में है 84 मंजिल
दुनिया की सबसे पतली इमारत जिसका नाम स्टेनवे टॉवर है. 1428 फीट ऊंची इस टावर में 84 मंजिल है. स्टेनवे टावर को बनाने वाले डेवलपर्स का कहना है कि ये हाईराइज टावर ‘दुनिया की सबसे पतली इमारत’ में से एक है. इस बिल्डिंग की ऊंचाई और चौड़ाई का अनुपात 24:1 है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक इस स्काईस्क्रैप टावर को दुनिया की सबसे मजबूत कंक्रीट से निर्माण किया गया है. कुछ साल पहले इसके इंजीनियर रॉवन विलियम्स ने बताया था कि 1000 फीट ऊंचा टॉवर 100 मील/घंटा की रफ्तार से चल रही हवा को झेल सकता है, हालांकि इसके अंदर रहने वाले लोग जरा भी इसे महसूस नहीं कर पाएंगे।
कुल लागत 15 हजार करोड़
इस टावर में कुल 60 अपार्टमेंट बनाया गया है. एक रिपोर्ट के अनुसार इस टावर के एक अपार्टमेंट की कीमत करीब 58 करोड़ रुपये से लेकर लगभग 330 करोड़ रुपये के बीच रखी गई है. इसके एक पेंटहाउस की कीमत अरबों रुपये है. इस टावर को बनाने में कुल लागत 15 हजार करोड़ रुपये लगे है।
आरंभ हुआ था हॉन्ग कॉन्ग में
इस टावर को विज्ञान का चमत्कार कहा जाता है. 1428 फीट ऊंचे स्टेनवे टावर के टॉप फ्लोर पर सर्दियों के मौसम में बर्फ की परत जम जाती है और पारा बढ़ने पर जमी बर्फ पिघलने लगती है. बर्फ की मोटी चादर पिघलने के कारण इसकी छत से बर्फ के बड़े-बड़े टुकड़े गिरते हैं. इससे कई गाड़ियां बर्बाद हो गईं. इस तरह की पतली और ऊंची टावर का चलन हॉन्ग कॉन्ग में साल 1970 के दौर में आरंभ हुआ था. उसके बाद इस तरह का टावर अमेरिका समेत कई देशों में बनाई गई हैं।
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