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चीन की धमकी पर बोलीं ताइवान की राष्ट्रपति, मतभेद सुलझाने के लिए शांति एकमात्र विकल्प

नई दिल्ली: राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने सभा संबोधित किया.अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि चीन और ताइवान के बीच शांति एकमात्र विकल्प है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने चीन की धमकियों के बाद ताइवान की सुरक्षा को लेकर बात की. उन्होंने कहा कि पूरी […]

Taiwan
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  • Last Updated: October 10, 2023 14:05:06 IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने सभा संबोधित किया.अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि चीन और ताइवान के बीच शांति एकमात्र विकल्प है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने चीन की धमकियों के बाद ताइवान की सुरक्षा को लेकर बात की. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया ताइवान जलडमरूमध्य में स्थिरता को वैश्विक समृद्धि और सुरक्षा का अनिवार्य घटक मानती है. बता दें कि चीन ताइवान को अपने क्षेत्र के रूप में मनाता है, इस लिए दोनों देशों के बीच लगातार तनाव बना रहता है.

बढ़ी है सैन्य क्षमता

अपने संबोधन में ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने घरेलू हथियार उद्योग को फिर से बढ़ाने को बड़ी सफलता के रूप में बताया. उन्होंने कहा कि ताइवान ने हाल ही में एक घरेलू निर्मित पनडुब्बी के लॉन्च किया है जो बहुत बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने कहा हमने अपने राष्ट्र की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है. साथ ही अपनी सैन्य क्षमताओं को भी बढ़ाया है.

क्या है चीन ताईवान के बीच विवाद की वजह?

चीन और ताईवान के बीच विवाद काफी समय से चला आ रहा है. बता दें कि ताइवान का द्वीप चिंग राजवंश के दौरान चीन के नियंत्रण में था लेकिन साल 1895 के जापान-चीन के पहले युद्ध में चीन इस युद्ध में हार गया. जिसके बाद ताइवान को जापान को दे दिया गया. तब से लेकर साल 1945 तक ताइवान जापान के नियंत्रण में रहा. साल 1945 के द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद एक बार फिर ताइवान चीन के अधिकार क्षेत्र में आ गया. इसके बाद साल 1949 में ताइवान में कम्युनिस्टों और राष्ट्रवादियों के बीच हुए गृहयुद्ध के कारण राष्ट्रवादियों को ताइवान छोड़ कर जाना पड़ा. तब से ताइवान में चियांग काई-शेक के नेतृत्व में कुओमिन्तांग पार्टी ने लगातार कई सालों तक शासन किया और आज भी कुओमिन्तांग पार्टी एक प्रमुख राजनीतिक दल के रूप में बना हुआ है. तभी से ताइवान को चीन एक चीनी प्रांत के रूप में मानता है. लेकिन ताइवान का तर्क इसको लेकर अलग है. ताइवान का मानना है कि कभी भी चीन का हिस्सा नहीं था.

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