नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कनाडा, मैक्सिको और चीन सहित तमाम देशों के साथ ट्रेड एंड टैरिफ वॉर में उलझ चुके हैं. भारत पर भी रेसीप्रोकल टैक्स लगाने की बात कही है लेकिन ट्रंप ये बात भूल रहे हैं कि जो आग उन्होंने लगाई है उसकी आंच में अमेरिका भी झुलसेगा. अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है और बासमती चावल जैसी तमाम ऐसी चीजें निर्यात करता है जिसकी अमेरिका में खूब डिमांड है.
साल 2024 में भारत-अमेरिका के बीच कुल $129.2 अरब का कारोबार हुआ था जिसमें से भारत से अमेरिका को $87.4 अरब निर्यात और अमेरिका से भारत को $41.8 अरब का निर्यात हुआ था. अभी दोनों देशों के व्यापार में भारत का पलड़ा भारी है. ट्रंप चाहते हैं कि दोनों का पलड़ा संतुलित हो. भारत अमेरिका को जो चीजें भेजता है उसमें मखाना, बासमती चावल, इलेक्ट्रॉनिक सामान, फ्रोजेन झींगा, मसाले, काजू, फल-सब्ज़ियां, तेल, स्वीटनर, प्रोसेस्ड शुगर, कन्फ़ेक्शन, फल, मेवे, चारा अनाज, पेट्रोलियम, कच्चे हीरे, लिक्विड नेचुरल गैस, सोना, कोयला, अपशिष्ट, बादाम, डिफेंस प्रोडक्ट्स, इंजीनियरिंग सामान, और सब्ज़ियां, दवा और फ़ार्मास्यूटिकल्स आदि शामिल है.
अगर अमेरिका इन सामानों पर टैरिफ बढ़ाता है तो ये चीजें अमेरिकियों के लिए महंगी हो जाएंगी. अमेरिका बासमती चावल का बड़ा खरीदार है. ट्रंप ने जो ऐलान किया है उसके मुताबिक टैरिफ बढ़ा तो अमेरिका में इसकी कीमत बढ़ जाएगी. हालांकि इससे भारत के निर्यात पर भी असर पड़ेगा. जब अमेरिका में टैक्स बढ़ेगा तो भारतीय समान मंहगा हो जाएगा. यदि अमेरिकी बाजार में वही सामान सस्ता उपलब्ध होगा तो कोई भारतीय सामान क्यों खरीदेगा. बाजार डिमांड और सप्लाई से चलता है.
भारत को नुकसान यह होगा कि टैरिफ बढ़ने से भारतीय ज्वेलरी ब्रांड्स को अमेरिका में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा. भारतीय साड़ियों और कुर्तों की अमेरिका में काफी मांग है, टैरिफ की वजह से ये फेब्रिक महंगे हो जाएंगे. इसकी वजह से भारत का व्यापार घाटा बढ़ेगा. भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ेगा.
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