नई दिल्ली. अडोल्फ हिटलर को गए करीब 70 साल हो गए, लेकिन आज भी उनकी यातनाएं दुनिया भूल नहीं पा रहा है. ऐसा ही एक मामला साल 1942 का है. तानाशाह एडोल्फ हिटलर के स्टुटथॉफ कंसंट्रेशन कैंप में 65,000 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. अब इस मामले में 100 साल पूर्व नाज़ी गार्ड ( Trial against 100 year old Nazi guard ) पर मुकदमा चलाया जा रहा है.
तानाशाह एडोल्फ हिटलर के स्टुटथॉफ कंसंट्रेशन कैंप में 65,000 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था, इस मामले का अब तक मुकदमा चल रहा है. अब इस मामले में एक 100 साल पूर्व नाज़ी गार्ड पर मुकदमा चलाया जा रहा है. द्वित्तीय विश्व युद्ध के करीब 7 दशक बाद भी अब तक इस मामले पर मुकदमा चल रहा है, उनपर 1942 से 1945 के बीच 3,518 हत्याओं में मदद करने का आरोप है. बता दें जोसेफ शूएट्ज पर किसी को गोली मारने का आरोप नहीं है, बल्कि हत्याओं में मदद करने का आरोप है.
हिटलर के यातना शिविर में हजारों को मारने वालों की मदद करने वाले जोसेफ शूएट्ज पर मुकदमा चलाया जा रहा है. हालाँकि, उनकी उम्र को देखते हुए कोर्ट इस मामले की सुनवाई कुछ घंटे तक सीमित कर सकती है. इस मामले का ट्रायल जनवरी में शुरू होगा.
बता दें की यह मामला तब सामने आया, जब नाजी कंसंट्रेशन कैंप की 96 वर्षीय एक पूर्व सचिव पर जर्मनी में मुकदमा शुरू होने वाला था, लेकिन मुकदमा शुरू होने से पहले ही वह फरार हो गई. हालांकि, बाद में उन्हें पकड़ लिया गया. इस मामले में कैम्प में मारे गए लोगों के परिजनों ने कहा न्याय को ज़रूरी बताते हुए कहा कि “न्याय की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती”.