US: WhatsApp को अमेरिका से बड़ा झटका लगा है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने सरकारी डिवाइस पर WhatsApp के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। इसकी वजह साइबर सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी को लेकर चिंता बताई जा रही है। इस प्रतिबंध के बाद अब अमेरिकी कांग्रेस के कर्मचारी सरकारी मोबाइल या कंप्यूटर पर WhatsApp ऐप या वेब वर्जन का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। इसकी जगह उन्हें माइक्रोसॉफ्ट टीम्स, सिग्नल, आईमैसेज और फेसटाइम जैसे विकल्प अपनाने को कहा गया है।
अमेरिका मेटा का घरेलू बाजार है। ऐसे में सरकारी संगठन में प्रतिबंध कंपनी की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है। अभी एक हफ्ते पहले ही WhatsApp ने विज्ञापन लाने का ऐलान किया था। हालांकि इस प्रतिबंध का उन विज्ञापनों से कोई सीधा संबंध नहीं है, लेकिन इससे कंपनी के लिए स्थिति काफी खराब हो सकती है।
अमेरिकी सदन के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी की एक रिपोर्ट के मुताबिक WhatsApp में पारदर्शिता की कमी है। ऐप में यह साफ तौर पर नहीं बताया गया है कि वह यूजर्स के डेटा को कैसे स्टोर और सिक्योर करता है। इस ऐप को हाई रिस्क यानी सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक माना जा रहा है। इसलिए सरकारी डिवाइस पर इसके इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है। सीएओ ने ईमेल में लिखा है कि अब किसी भी सरकारी गैजेट या डिवाइस में व्हाट्सएप का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
यह प्रतिबंध आम नागरिकों पर नहीं, बल्कि अमेरिकी कांग्रेस के कर्मचारियों और अधिकारियों पर लागू किया गया है। अब वे न तो सरकारी डिवाइस पर व्हाट्सएप डाउनलोड कर सकते हैं और न ही इसका वेब वर्जन खोल सकते हैं।
पैरेंट कंपनी मेटा इस फैसले से नाखुश है। कंपनी के पूर्व प्रवक्ता एंडी स्टोन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा कि हम इस फैसले से सहमत नहीं हैं। व्हाट्सएप में भेजे जाने वाले मैसेज डिफॉल्ट रूप से एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं, यानी कोई भी तीसरा पक्ष किसी भी बातचीत को नहीं पढ़ सकता।
स्टोन ने यह भी कहा कि व्हाट्सएप की सुरक्षा अन्य एप्स के मुकाबले काफी मजबूत है। इसमें यूजर की प्राइवेसी का खास ख्याल रखा जाता है।
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