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US: राष्ट्रपति पद के दावेदार बाइडन को डेमोक्रेट्स से पर्याप्त समर्थन, ट्रंप से मुकाबला

नई दिल्लीः अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में कई उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन डेमोक्रेटिक खेमे से केवल मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइ़डन ही 2024 के चुनाव में भाग लेंगे। बाइ़डन को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका के लगभग 70 साल के इतिहास में यह […]

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  • Last Updated: March 13, 2024 09:24:21 IST

नई दिल्लीः अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में कई उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन डेमोक्रेटिक खेमे से केवल मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइ़डन ही 2024 के चुनाव में भाग लेंगे। बाइ़डन को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका के लगभग 70 साल के इतिहास में यह पहली बार है कि लगातार दो चुनाव एक ही उम्मीदवारों के बीच लड़े जाएंगे। पिछली बार 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में भी डोनाल्ड ट्रंप और बाइडन के बीच सीधी टक्कर थी. गौरतलब है कि डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी इन प्राइमरी चुनावों में जीत हासिल करने वाले उम्मीदवार को ही अपना राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाएंगी।

दरअसल, बाइडन ने मंगलवार को डेमोक्रेटिक नामांकन सुरक्षित करने के लिए आवश्यक संख्या हासिल कर ली। चुनाव में इस समय, पर्याप्त प्रतिनिधि ने उनके लिए मतदान किया। डेमोक्रेटिक नामांकन जीतने के लिए बाइडन को 1,968 प्रतिनिधियों की आवश्यकता थी। जॉर्जिया के अलावा, बाइडन को मिसिसिपी, वाशिंगटन राज्य और उत्तरी मारियाना द्वीप समूह में भी मजबूत समर्थन प्राप्त है। अमेरिकी चुनाव पर रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप के नामांकन पर भी मंगलवार को मुहर लगने की उम्मीद है.

ट्रंप का कैंपेन ‘नाराजगी और प्रतिशोध का अभियान

कथित तौर पर ट्रंप को कई प्रमुख राज्यों में अच्छा समर्थन प्राप्त है। भारतवंशी निक्की हेली रेस से बाहर हो गई हैं. भारत के एक अन्य भारतवंशी विवेक रामास्वामी ने ट्रंप के लिए अपना समर्थन घोषित किया। नामांकन की पुष्टि होने के बाद, बाइडन ने कहा कि ट्रंप का कैंपेन “शिकायत और बदले का अभियान” था। संभावना है कि इससे अमेरिका के विचार को ख़तरा हो सकता है.

बता दें की 4 वर्ष पहले साल 2020 में कराए गए राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को मात मिली और इसके बाद देश के इतिहास में संभवत: पहली बार कैपिटल हिल पर जमकर उपद्रव हुआ। चुनावी हार से बौखलाए ट्रंप के समर्थकों ने छह जनवरी 2021 के दिन चुनाव परिणाम स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और हिंसा की वजह से यह अमेरिकी लोकतंत्र का काला अध्याय बन गया।

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