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आम बजट के बाद विपक्ष की बैठक में बोलीं सोनिया गांधी- राष्ट्रीय मुद्दों पर बनानी होगी सहमति

आम बजट के बाद विपक्ष ने मीटिंग की. इसमें 17 पार्टियों के नेता शामिल हुए. मीटिंग में 2019 चुनावों की तैयारी के बारे में चर्चा की गई. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ मिलकर संघर्ष करना होगा. सरकार महंगाई, रोजगार, दलित, किसान, युवा सहित सभी मुद्दों पर फेल हुई है. साथ ही सरकार संवैधानिक संस्थाओं में दखलंदाजी कर रही है. सभी मुद्दों पर मिलकर संघर्ष करना होगा.

Opposition parties Meeting sonia gandhi
inkhbar News
  • Last Updated: February 2, 2018 00:16:16 IST

नई दिल्ली. मोदी सरकार के कार्यकाल के अंतिम पूर्ण बजट पेश होने के बाद विपक्ष ने एक बैठक की. इसमें 17 राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए. बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा हुई. बैठक में शामिल हुईं कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बैठक में चर्चा की शुरूआत करते हुए कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए. सोनिया गांधी ने कहा कि राज्य के मुद्दों को अलग रखकर सभी पार्टियों को मुख्य राष्ट्रीय मुद्दों पर एक सोच बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्यों में हमारे मतभेद हो सकते हैं लेकिन राष्ट्र के मुद्दों पर कोई मतभेद नहीं होना चाहिए.

सोनिया गांधी ने कहा कि देश में जो नफ़रत फैल रही है, विचारधारा के नाम पर देश खतरे में है, उससे हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है. जो हिंसा हो रही है जो दंगे हो रहे हैं जाति और धर्म के नाम उनसे सतर्क रहना है. संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है और इनमें सरकार की दखलअंदाजी हो रही है जोकि बहुत चिंता का विषय है. सोनिया गांधी ने आगे कहा कि यूपीए ने ‘आधार’ को सरकारी लाभ को जनता के पास सीधे पहुंचाने के लिए शुरू किया था, लेकिन सरकार उस ‘आधार’ को लोगों की प्राइवेट लाइफ और प्राइवेसी में दख़ल देने के लिए इस्तेमाल करने में ज़्यादा रुचि दिखा रही है. देश की आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब है. बेरोजगारी भयंकर समस्या बन गई है और देश के नौजवानों के लिए रोजगार उपलब्ध न कराना चिंता का विषय है.

सोनिया ने कहा कि एनडीए सरकार ने चार साल पहले जो रोज़गार देने का वादा किया था, उस पर सरकार ने अब बिलकुल चुप्पी साध ली है. सरकार अब 2 करोड़ प्रति वर्ष नौकरियां पैदा करने की बात भूल गई है. सरकार नए नए वायदे कर रही है लेकिन पुराने भूल रही है. आज इस्तेमाल की चीज़ें, खाने पीने की चीज़ें. ख़ासतौर पर पेट्रोल-डीज़ल और गैस की क़ीमतें बहुत बढ़ गई हैं. सरकार महंगाई रोकने में बिलकुल असफल रही है जिसके चलते लोगों को बहुत तक़लीफ का सामना करना पड़ रहा है. इन सभी मुद्दों पर, चाहे वो दलितों के मुद्दे हों, किसान के मुद्दे हों, युवाओं के मुद्दे हों, पिछड़ों के मुद्दे हों, महिलाओं के मुद्दे हों, बेरोज़गारी के मुद्दे हों इन सभी राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर सदन के अन्दर और बाहर दोनों जगह आम सहमति बनानी होगी.

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