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गुरु पर्व : यमराज का कौन सा गुप्तचर आप पर नजर रखता है ?

यमराज या यम भारतीय पौराणिक कथाओं में मृत्यु के देवता को कहा गया है. विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा से भगवान सूर्य के पुत्र यमराज, श्राद्धदेव मनु और पुत्री यमुना हुईं. वेदों ने उनका वर्णन मरने वाले पहले व्यक्ति के रूप में किया है, जिन्होंने नश्वरता के मार्ग को प्राप्त किया, जिस पर तब से सभी लोग चलते आ रहे हैं.

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  • Last Updated: January 8, 2017 05:05:19 IST
नई दिल्ली : यमराज या यम भारतीय पौराणिक कथाओं में मृत्यु के देवता को कहा गया है. विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा से भगवान सूर्य के पुत्र यमराज, श्राद्धदेव मनु और पुत्री यमुना हुईं. वेदों ने उनका वर्णन मरने वाले पहले व्यक्ति के रूप में किया है, जिन्होंने नश्वरता के मार्ग को प्राप्त किया, जिस पर तब से सभी लोग चलते आ रहे हैं.
 
यमराज दक्षिण दिशा के संरक्षक हैं तथा धरती के नीचे दक्षिण में स्थित मृतकों के विश्राम-स्थल के स्वामी हैं. वेदों में यम को दिवंगत पूर्वजों के प्रसन्नचित्त राजा के रूप में वर्णित किया गया है, न कि पापों का दंड देने वाले के रूप में. इसलिए यमराज डरावने तो कतई नहीं है जैसा प्रचलन में है. पौराणिक कथाओं में उन्हें धर्मराज के रूप से जाना जाने लगा, जो मृतक के अच्छे और बुरे कर्मों को तौलते हैं तथा उनके प्रतिफलों को निर्धारित करते हैं.
 
 
महाभारत में धर्मराज का अवतार युधिष्टिर रुप में हुआ था. यमराज को लाल वस्त्रों में सजे धजे, हरे वर्ण और लाल आँखों वाले राजसी स्वरूप में वर्णित किया गया है. यमराज खोपड़ी से अलंकृत गदा और एक पाश धारण करते हैं तथा भैंसे पर सवारी करते हैं. चार आँखों वाले दो कुत्ते उनके यमलोक के प्रवेशद्वार की रक्षा करते हैं तथा कौए और कबूतर उनके संदेशवाहक हैं. तिब्बत, जापान और चीन की बौद्ध पौराणिक कथाओं में भी यम का वर्णन है। इनमें भी यम की इसी तरह मृतक लोक के संरक्षक की, लेकिन कम महत्त्वपूर्ण भूमिका है.
 
 
यमराज के 13 नाम और भी हैं. यम के लिए पितृपति, कृतांत, शमन, काल, दंडधर, श्राद्धदेव, धर्म, जीवितेश, महिषध्वज, महिषवाहन, शीर्णपाद, हरि और कर्मकर विशेषणों का प्रयोग होता है. अंग्रेजी में यम को प्लूटो कहते हैं. यमलोक के लेकर कई तरह की धारणाएं हैं लेकिन शास्त्रों में वर्णित यमलोक का वर्णन के अनुसार यमलोक में यमराज का विशाल राजमहल है जो ‘कालीत्री’ नाम से जाना जाता है.

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