नई दिल्ली. भारत की सबसे मशहूर क्लासिक मारुति सुजुकी जिप्सी का कंपनी ने उत्पादन बंद कर दिया है. सबसे पहले इसे साल 1985 में भारतीय बाजार में उतारा गया था. तब से लेकर आज तक इस गाड़ी ने भारत के लोगों में खास पहचान बनाई. यह जिप्सी भी भारतीय सेना की खास पसंद मानी जाती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनी ने 31 हजार से ज्यादा जिप्सी भारतीय सेना को दी थी. नब्बे के दशक में आईं भारतीय फिल्मों में भी इसे कई बार पर्दे पर देखा गया, इस कारण उस दौर के युवाओं में जिप्सी को लेकर काफी क्रेज आया. आइए जानते हैं कि क्या खास है इस एसयूवी गाड़ी में और कंपनी ने क्यों बंद किया इसका उत्पादन.
भारतीय सेना की धड़कन रही मारुति जिप्सी-
90 के दशक में मारुति जिप्सी भारत में खासी पॉपुलर हुई थी. इसका कम वजन और ज्यादा माल ढोने की क्षमता के कारण भारतीय सेना में भी काफी पसंद किया गया. मारुति जिप्सी पथरीले और पहाड़ी रास्तों में चलने में उपयुक्त मानी जाती है. इसका वजन इतना हल्का होता है कि हेलीकॉप्टर से खींच कर इसे किसी भी पहाड़ी जगह पर ले जाया जा सकता है. इसी कारण इस एसयूवी गाड़ी को काफी पसंद किया गया.
इसमें 16 वॉल्व का पेट्रोल इंजन लगा है, जिस कारण इसकी इंजन क्षमता ज्यादा डीजल गाड़ियों के मुकाबले ज्यादा पॉवरफुल है. मारुति सुजुकी की पॉपुलर गाड़ियां रहीं मारुति 800 और ओमनी वैन के बाद सबसे ज्यादा बिक्री इसी गाड़ी की हुई थी. मारुति सुजुकी जिप्सी की शुरुआती कीमत एक्स शोरूम दिल्ली में 6 लाख 22 हजार रुपये है. यह गाड़ी सॉफ्ट टॉप और हार्ड टॉप दोनों मॉडल में उपलब्ध है.
क्यों बंद हुआ जिप्सी का उत्पादन-
आपको बता दें कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में नवीन तकनीकी वाली एसयूवी गाड़ियों के आ जाने से मारुति जिप्सी की मांग धीरे-धीरे कम होने लगी. साथ ही भारत में अब बीएस-6 मानक की गाड़ियां आ गई हैं. इस कंपनी का डिजाइन 1980 के दशक का है और वर्तमान के ऑटोमोबाइल मानकों पर यह खरी नहीं उतर रही थी. कुछ समय से कंपनी इसे सिर्फ ऑर्डर पर ही इसका प्रोडक्शन कर रही थी. यही कारण है कि कंपनी ने आखिरकार इस गाड़ी का उत्पादन बंद करने का निर्णय लिया है.
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