Inkhabar

अब दिल्ली और NCR में धूमधाम से मनेगी दिवाली और दशहरा

दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर लगी रोक को सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ हटा दिया है. दिल्ली में पटाखों की बिक्री के लिए ज्यादा से ज्यादा 500 अस्थायी लाइसेंस दिए जा सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में 2016 में जो लाइसेंस दिए गए थे उसके 50 फीसदी ही अस्थायी लाइसेंस दिए जाएंगे और जो ज्यादा से ज्यादा 500 होंगे.

Supreme Court, Firecrackers ban, Selling of firecrackers in Delhi, 500 licenses, Delhi Police, Delhi NCR, Air pollution, Air quality assessment in delhi, Diwali, Dussehra, National news
inkhbar News
  • Last Updated: September 12, 2017 07:34:27 IST
नई दिल्ली : दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर लगी रोक को सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ हटा दिया है. दिल्ली में पटाखों की बिक्री के लिए ज्यादा से ज्यादा 500 अस्थायी लाइसेंस दिए जा सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में 2016 में जो लाइसेंस दिए गए थे उसके 50 फीसदी ही अस्थायी लाइसेंस दिए जाएंगे और जो ज्यादा से ज्यादा 500 होंगे.
 
यही नियम एनसीआर के लिए भी लागू किए जाएंगे, यानी 2016 के आधे लाइसेंस दिए जाएंगे. साइलेंस जोन के 100 मीटर के भीतर कोई पटाखें नही चलाए जा सकेंगे. कोर्ट ने पुलिस और जिला मजिस्ट्रेट से यह बात सुनिश्चित करने को कहा है कि अस्पताल, कोर्ट, धार्मिक स्थल और स्कूल आदि के 100 मीटर के दायरे में पटाखे नहीं चलाए जाएं.
 
पटाखे बनाने में लिथियम, लेड, मरक्यूरी, एंटीमोनी व आर्सेनिक का इस्तेमाल नहीं होगा. दिल्ली और एनसीआर में अगले आदेश तल दूसरे राज्यों से पटाखें नहीं लाए जाएंगे क्योंकि दिल्ली और एनसीआर में पहले से ही पटाखें मौजूद हैं. 
 
50 लाख किलो पटाखे दिल्ली और एनसीआर में इस दशहरे और दीपावली के लिए पर्याप्त से ज्यादा हैं. जिन लाइसेंस धारी दुकानदारों के पास पटाखें है वो अपना पटाखा बेच सकते है या दूसरे राज्यों में निर्यात कर सकते हैं.
 
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के लाइसेंस पर लगी रोक को अंतरिम रूप से हटाया है क्योंकि कोर्ट ने कहा है दीपावली के बाद एयर क्वालिटी को देखते हुए कोर्ट सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा निर्माताओं कंपनियों और विक्रेताओं का पक्ष सुनने के बाद इसी साल अगस्त में फैसला सुरक्षित रख लिया था. 
 
पिछले साल 25 नवंबर को दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पूरे एनसीआर में पटाखों की बिक्री के लिए कोई नया लाइसेंस नहीं देने और पहले से जारी लाइसेंस को निलंबित करने के आदेश दिए थे. 
 
वहीं मामले की सुनवाई के दौरान केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पटाखों के मानक तय करने की प्रक्रिया जारी है. बोर्ड ने कहा था कि 15 सितंबर तक मानक तय कर लिए जाएंगे. वहीं मानक तय होने तक सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा निर्माताओं को पटाखों बनाने में लिथियम, लेड, मरक्यूरी, एंटीमोनी व आर्सेनिक का इस्तेमाल न करने के आदेश जारी किए थे. 
 
इसके साथ कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि, ‘CPCB तीन महीने में रिपोर्ट दाखिल कर बताए कि पटाखों में किस तरह की सामग्री इस्तेमाल किया जा रही है.’ पिछले साल 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के खिलाफ तीन बच्चों की याचिका पर यह फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले ही संकेत दिया था कि दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक लग सकती है. 
 
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जिस तरह ड्रिंक करने वालों को बस बहाना चाहिए, सुख हो या दुख उन्हें तो बस ड्रिंक करने का मौका चाहिए, ठीक उसी तरह पटाखों को लेकर भी लोग यही करते हैं.
 
अधिकारों को लेकर लोगों का सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाना कोई नहीं बात नहीं है, लेकिन यह अपने तरह का अलग मामला है जब 6 से 14 महीने के बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर साफ हवा में सांस लेने के अधिकार की मांग करते हुए निर्देश देने की मांग की थी.
 
इस याचिका में मांग की गई थी कि दशहरा और दीवाली जैसे त्योहारों पर पटाखों की ब्रिकी पर रोक लगाई जाए. इन बच्चों अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और जोया राव की ओर से उनके पिताओं ने दायर जनहित याचिका में कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के चलते हालात खराब हो रहे हैं.
 
दिल्ली में त्योहार के वक्त पटाखों की वजह से कई बीमारियां भी हो रही हैं. इसके अलावा रोक के बावजूद खुले में मलबा भी फेंका जा रहा है. इसके साथ ही राजधानी के आसपास करीब 500 टन फसलों के अवशेष जलाए जाते हैं. इतना ही नहीं ट्रकों की वजह से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और इनकी वजह से फेंफड़े संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट कोई ठोस दिशा निर्देश जारी करे और प्रदूषण पर रोक लगाए.

Tags