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मध्य प्रदेश के निजी डेंटल कॉलेजों ने 616 सीटें भरने के लिए SC से मांगा 10 दिन का वक्त

मध्य प्रदेश के प्राइवेट डेंटल कॉलेज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कोर्ट के इन आदेशों में संशोधन की मांग की है, जिसमें कोर्ट ने 29 अगस्त को 10 दिनों की और 7 सितम्बर को 3 और दिनों की मोहलत दी थी, ताकि नीट के तहत दाखिले की प्रक्रिया को पूरा किया जा सके.

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  • Last Updated: September 12, 2017 07:59:11 IST
नई दिल्ली : मध्य प्रदेश के प्राइवेट डेंटल कॉलेज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कोर्ट के इन आदेशों में संशोधन की मांग की है, जिसमें कोर्ट ने 29 अगस्त को 10 दिनों की और 7 सितम्बर को 3 और दिनों की मोहलत दी थी, ताकि नीट के तहत दाखिले की प्रक्रिया को पूरा किया जा सके. 
 
प्राइवेट डेंटल कॉलेज ने अपनी याचिका में कहा कि 10 सितंबर तक 14 कॉलेजों की 1,320 सीट में से 704 सीटों पर दाखिले की प्रक्रिया पूरी हो गई है, लेकिन अभी भी 616 सीटों पर दाखिला होना बाकी है, लिहाज़ा कोर्ट 10 दिनों का और समय दे ताकि दाखिले की प्रक्रिया पूरी की जा सके. सुप्रीम कोर्ट दोपहर 2 बजे याचिका पर सुनवाई करेगा. 
 
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 7 सितम्बर को नीट काउंसिलिंग मामले से जुड़े मध्य प्रदेश सरकार को 3 और दिनों की मोहलत देते हुए कहा था कि दाखिले की प्रक्रिया को पूरा करे. कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार की 10 दिनों की मोहलत देने की मांग को ठुकरा दिया था.
 
दरअसल 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वो 10 दिनों के भीतर फिर से नीट के तहत दाखिले किये जाए. पिछले साल सितम्बर में सुप्रीम कोर्ट ने 2016-17 एडमिशन के लिए मध्य प्रदेश सरकार के की ओर से आयोजित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा की काउंसलिंग को रद्द कर दिया था.
 
उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मध्यप्रदेश सरकार ने अंडरग्रेजुएट कॉलेजों में काउंसिलिंग कराने को लेकर केन्द्र के प्रावधानों को फॉलो नहीं किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजों को नए काउंसिलिंग कराने का निर्देश दिया था और राज्य सरकार को भी केन्द्र सरकार और कानून के तहत दिए गए नियमों और निर्देशों को सख्ती से लागू करने को कहा था. 
 
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पाया था कि प्राइवेट कॉलेजों ने भी मेडिकल के अंडरग्रेजुएट कोर्सेस की काउंसिलिंग में केन्द्र के गाइडलाइन्स को लागू नहीं किया था. पिछले साल पूरे भारत में एमबीबीएस और बीडीएस कोर्स में दाखिले के लिए नीट को अनिवार्य किया गया था, लेकिन कुछ राज्यों में मेडिकल परीक्षा के उम्मीदवारों ने नीट 2017 को रद्द किए जाने की मांग की थी.

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