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कानून व्यवस्था इतनी खर्चीली है कि गरीब लोगों की न्याय तक पहुंच ही नहीं है. लॉ कमीशन चेयरमैन

कैदियों के अधिकारों से संबंधित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए लॉ कमीशन चेयरमैन जस्टिस बीएस चौहान ने कहा कि भारतीय कानून व्यवस्था इतनी जटिल और खर्चीली है कि गरीब लोगों की न्याय तक पहुंच ही नहीं है.

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  • Last Updated: September 23, 2017 15:41:50 IST
नई दिल्ली: कैदियों के अधिकारों से संबंधित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए लॉ कमीशन चेयरमैन जस्टिस बीएस चौहान ने कहा कि भारतीय कानून व्यवस्था इतनी जटिल और खर्चीली है कि गरीब लोगों की न्याय तक पहुंच ही नहीं है. उन्होंने कहा कि मुकदमा लडना इतना खर्चीला है कि वह भी अपनी पैरवी के लिए बड़े वकील नहीं कर सकते.
 
जस्टिस बीएस चौहान मैं सुप्रीम कोर्ट के जज पद से रिटायर हुआ हूं. अगर मुझे मुकदमा लडऩा हो तो मैं पैरवी के लिए बड़े वकीलों की सेवा नहीं ले सकता. बड़े वकील इतने बहुत महंगे हैं. वे टैक्सियों की तरह हर घंटे और हर दिन के हिसाब से चार्ज करते हैं. 
 
 
जस्टिस चौहान ने कहा कि जमानत की शर्तों इतनी जटिल होती है कि गरीब व्यक्ति को वकील न मिले तो वह जेल से बाहर ही नहीं आएगा और उसे पूरी सजा जेल में काटनी पड़ती है. वहीं अमीरों को जमानत एडवांस में मिल जाता है. उन्होंने कहा कि सवाल यह उठता है कि आखिर हमारा लीगल सिस्टम और जमानत की शर्तों में इतनी जटिलता क्यों है.
 
 
जस्टिस चौहान ने इस बात की भी वकालत की कि स्थानीय अदालतों अंग्रेजी की बजाए क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जिससे कि गरीब लोगों अदालती कार्यवाही को समझ सकें. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी में बहस करने के पीछे वजह यह भी होती है कि उनके गरीब मुवक्किल अदालती कार्यवाही को न समझ सकें.

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