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नागपुर : RSS के विजयदशमी उत्सव में शामिल हुए आडवाणी-गडकरी-फडणवीस

विजयादशमी को आरएसएस स्थापना दिवस के रूप में मनाती है. विजयादशमी उत्सव समारोह में दलित धर्मिक नेता बाबा निर्मल दास मुख्य अतिथि हैं.

Dussehra‬ 2017, Vijayadashami Utsav, RSS, ‪‪Rashtriya Swayamsevak Sangh
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  • Last Updated: September 30, 2017 03:21:30 IST
नागपुर : देशभर में आज दशहरे का त्यौहार मनाया जा रहा है. इस मौके पर आज शाम को रावण का दहन किया जाएगा. नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी विजयादशमी मना रहा है. आज नागपुर के रेशिमबाग मैदान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विजयादशमी उत्सव कार्यक्रम चल रहा है. कार्यक्रम में लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़णवीस शामिल हुए. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कार्यक्रम की शुरुआत शस्त्र पूजन से की. इसके बाद उन्होंने पारंपरिक आरएसएस परेड की सलामी ली. विजयादशमी को आरएसएस स्थापना दिवस के रूप में मनाती है. विजयादशमी उत्सव समारोह में दलित धर्मिक नेता बाबा निर्मल दास मुख्य अतिथि हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिये विजयादशमी उत्सव समारोह महत्वपूर्ण माना जाता है और इसकी 1925 में स्थापना के बाद से ही स्वयंसेवक इस अवसर पर जुटते हैं. 1925 में केशव बलिराम हेडगेवार ने विजयादशमी के दिन ही आरएसएस की स्थापना की थी. दशहरे पर आरएसएस हर साल शस्त्र पूजा का भी आयोजन करती है.
 
सरसंघचालक मोहन भागवत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हम 70 साल से स्वतंत्र हैं, फिर भी पहली बार अहसास हो रहा है कि भारत की प्रतिष्ठा बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि सारी दुनिया में हमारी साख बढ़ी है. उन्‍होंने कहा, ‘हमारी सुरक्षा के लिए सीमा पर जवान जान की बाजी लगाकर कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं. उनको कैसी सुविधाएं मिल रही हैं. उनको साधन संपन्न बनाने के लिए हमें अपनी गति बढ़ानी पड़ेगी. कार्यक्रम के दौरान भागवत ने गोरक्षा पर बोलते हुए गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों को आडे हाथों लिया. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में कानून एक्शन लेगा. भागवत ने कहा कि गोरक्षकों को डरने की जरूरत नहीं और अपने काम को अंजाम देते रहे. उन्होंने कहा कि गोरक्षा के नाम पर हिंसा नहीं होनी चाहिए. गोरक्षा के नाम पर कानून तोड़ना ठीक नहीं है. गोरक्षा सांप्रदायिकता का सवाल नहीं है. गाय के नाम पर हिंसा को धर्म से ना जोड़ें. दूसरे धर्म से जुड़े लोग भी गोरक्षा से जुड़े हैं.
 
बता दें कि संघ की स्थापना 27 सितंबर, 1925 को विजयादशमी के दिन मोहिते के बाड़े नामक स्‍थान पर केशवराव बलिराम हेडगेवार ने की थी. इसका मुख्यालय महाराष्ट्र के नागपुर में है. संघ की पहली शाखा में सिर्फ 5 लोग शामिल हुए थे. आज देशभर में 50 हजार से अधिक शाखाएं और उनसे जुड़े लाखों स्वयंसेवक हैं.  

 

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