मुंबई. महाराष्ट्र में सत्ता से बेदखल होने के बाद से उद्धव ठाकरे गुट अपनी सियासत को मज़बूत करने में जुटे हैं. उद्धव ठाकरे ने बाबा साहब अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन आघाड़ी के साथ हाथ मिला लिया है, बीएमसी चुनाव में प्रकाश अंबेडकर उद्धव गुट वाली शिवसेना के साथ मिलकर लड़ेंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि उद्धव का ये गठबंधन क्या भाजपा-एकनाथ शिंदे को मात दे पाएगा?
दरअसल, महाराष्ट्र में बहुत जल्द बृहन्मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी समेत कई शहरी निकाय चुनाव होने वाले हैं और उसके बाद मई, 2024 में लोकसभा और नवंबर, 2024 के विधानसभा चुनाव भी होना है ऐसे में उद्धव गुट अभी से ही तैयारी में जुट गया है. महाराष्ट्र की सत्ता गंवाने और शिवसेना के दो धड़ों में बंट जाने के बाद उद्धव ठाकरे के लिए बीएमसी का किला बचाने में जुट गई है, बीएमसी पर तीन दशक से काबिज शिवसेना को बेदखल करने के लिए भाजपा-शिंदे गुट एक है और अभी से ही बीएमसी से उद्धव गुट को बेदखल करने की तैयारी की जा रही है.
बीएमसी चुनाव सिर पर है और उद्धव ठाकरे के सामने सबसे बड़ी चुनौती शिवसेना को एक बार फिर खड़ा करना है. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बड़ी संख्या में सांसद, विधायक, शिवसैनिक उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ कर जा चुके हैं और ऐसे में उद्धव ठाकरे को एक ऐसे साथी की ज़रूरत है जो उन्हें सियासी मजबूती दे सके. इसी मद्देनजर उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने नीतीश कुमार-तेजस्वी यादव से मुलाकात कर उत्तर भारतीय वोटों को साधने का दांव चला है वहीं दूसरी ओर उद्धव ने प्रकाश अंबेडकर के साथ बीएमसी चुनाव के लिए गठबंधन किया है, ऐसे में दोनों दलों की दोस्ती को ‘शिव शक्ति और भीम शक्ति’ गठबंधन का नाम भी दिया जा रहा है, अब बस ये देखना है कि गठबंधन के बाद क्या उद्धव अपना बीएमसी किला बचा पाएंगे.
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