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क्या भारत की तुर्की को मदद बढ़ा रही है पाकिस्तान की चिंता?

नई दिल्ली: इस समय तुर्की और सीरिया विनाशकारी भूकंप के बाद की तबाही को झेल रहा है. अब तक इस तबाही में 21 हजार से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं. दुनिया भर के कई देश इस समय तुर्की की सहायता के लिए आगे आए हैं जिनमें से एक भारत भी है. ‘ऑपरेशन दोस्त’ के […]

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  • Last Updated: February 10, 2023 16:24:35 IST

नई दिल्ली: इस समय तुर्की और सीरिया विनाशकारी भूकंप के बाद की तबाही को झेल रहा है. अब तक इस तबाही में 21 हजार से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं. दुनिया भर के कई देश इस समय तुर्की की सहायता के लिए आगे आए हैं जिनमें से एक भारत भी है. ‘ऑपरेशन दोस्त’ के जरिये भारत ने भी तुर्की की ओर मदद का हाथ बढ़ा दिया है. अब तक भारत अपने 6 विमानों से राहत सामग्री, 30 बिस्तरों वाला मोबाइल अस्पताल, मेडिकल सामग्री समेत कई जरूरी सामान को तुर्की पहुंचा चुका है जिसमें एक डॉग स्क्वॉड भी शामिल है. भारत की इस मदद पर तुर्की ने उसका आभार भी जताया है और उसे एक अच्छा मित्र बताया है.

पाकिस्तान की बढ़ी टेंशन

दूसरी ओर रिश्तों में इस मिठास के बाद पाकिस्तान में खलबली शुरू हो गई है. बता दें, तुर्की ने पाक प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ की संवेदना यात्रा भी कैंसिल कर दी थी. इसके बाद भारत की इस मदद से अब पाकिस्तान को दर सताने लगा है. ऐसा खुद पाकिस्तानी विश्लेषकों का कहना है कि भारत और तुर्की की करीबी पाकिस्तान के लिए बड़ा ख़तरा भी बन सकती है. दरअसल पिछले कुछ दशकों में तुर्की और भारत के बीच के रिश्ते कुछ ख़ास ठीक नहीं रहे हैं. इसका कहीं ना कहीं भारत के दुश्मन देशों को भी फायदा रहा. लेकिन मदद के लिए हमेशा आगे रहने वाले भारत और तुर्की के बीच मधुर होते रिश्तों ने पकिस्तान की टेंशन बढ़ा दी है.

आपदा बनी भारत के लिए अवसर?

पाकिस्तानी विश्लेषकों ने बताया है कि भारत इस समय तुर्की की आपदा को एक कूटनीतिक अवसर के तौर पर देख रहा है. भारत इस समय मदद के जरिए अपने प्रति तुर्की के रुख को बदलने का प्रयास कर रहा है. भारत तुर्की को अपनी मदद के जरिए जता रहा है कि वो उसका हमदर्द है. पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक कमर चीमा ने इसे पीएम मोदी की स्मार्ट रणनीति का हिस्सा बताया है.

क्या हैं समीकरण?

गौरतलब है कि साल 2002 में जब राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन की पार्टी सत्ता में आई तो तुर्की स्वयं को मुस्लिम वर्ल्ड का नेता बनाने की कोशिश में जुट गया. इसी कड़ी में मुस्लिम देशों के कश्मीर जैसे विवादित मुद्दों को एर्दोगन ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखना शुरू किया. जहां कई बार तुर्की कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए भारत के खिलाफ बात की. इसी कड़ी उनकेरिश्ते पकिस्तान के साथ मधुर रहे हैं और भारत के साथ तुर्की का रिश्ता उतार चढ़ाव वाला ही रहा. अब भारत की मदद इन रिश्तों में कुछ बदलाव कर सकती है.

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