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नॉर्थ कोरिया ने अगर जापान पर हमला किया तो ऐसे में भारत क्या करेगा ?

राष्ट्रकवि दिनकर का शनिवार को जन्मदिन था. सात दशक पहले दिनकर ने कुछ पंक्तियां सत्ता की ताकत के बेजा इस्तेमाल और अहंकार को लेकर लिखी थीं. ये पंक्ति हैं... जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है. अपने काव्य रश्मिरथी में लिखी रामधारी सिंह दिनकर की ये पंक्तियां कालजयी हैं.

Donald Trump, North Korea, Kim Jong
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  • Last Updated: September 24, 2017 13:05:53 IST
नई दिल्ली: राष्ट्रकवि दिनकर का शनिवार को जन्मदिन था. सात दशक पहले दिनकर ने कुछ पंक्तियां सत्ता की ताकत के बेजा इस्तेमाल और अहंकार को लेकर लिखी थीं. ये पंक्ति हैं… जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है. अपने काव्य रश्मिरथी में लिखी रामधारी सिंह दिनकर की ये पंक्तियां कालजयी हैं. हर दशक में, हर युग में समय और हालात के हर खांचे में फिट बैठ जाती है.
 
किम जोंग किसी से बात नहीं करता और ना किसी की सुनता है, कहीं जाता नहीं और ना किसी के बहुत नाता रिश्ता रखता है. जब ट्रंप बोल रहे थे उ. कोरिया के विदेश मंत्री री योंग बाहर चले गए और जब उनके बोलने की बारी आई तो ऐसा बोले कि जैसे आग में घी डाल दिया हो. सबसे बड़ा खतरा यही है कि किम जोंग या उसके लोगों को आप कुछ कहने-करने को कह दें तो जो युद्द कल होनेवाला हो वह आज ही हो जाएगा. यही काम उ. कोरिया के विदेश मंत्री ने किया. 
 
 
देश में करीब 2.5 करोड़ की आबादी का 60 फीसदी दाने दाने को मोहताज है. खेती-बारी मोटे तौर पर रोजी रोटी का जरिया है और सरकारी नौकरी के नाम पर सेना में बहाली होती है. उ. कोरिया ऐसा देश जिसके पास पीला सागर जैसा व्यापारिक रूट है, जापान सागर जैसे खूबसूरत किनारे हैं. मोती उगलने वाले द्वीप हैं लेकिन ये सब बेकार पड़े हैं. लोगों की आजादी गिरवी है. आजादी वहां के लोगों के लिये किसी सपने सी है. दिनकर की कविता यहां बिल्कुल सही आती है.
 
आजादी तो मिल गई, मगर, यह गौरव कहां जुगाएगा ? मरभुखे! इसे घबराहट में तू, बेच न तो खा जाएगा ? उत्तर कोरिया के हालात पर दिनकर एकदम ठीक बैठते हैं, कैसे आइए इसको भी समझ लें. डर इस बात से है कि उसके पास कम, मध्यम और लंबी दूरी की बेहद खतरनाक मिसाइलें हैं. इसमें से कुछ का परीक्षण उसने हाल ही में किया है. चिंता इसे लेकर ही है. 
 
किम के पूरे ख़ानदान का रिकॉर्ड है ये लोग डिफेंसिव नहीं होते. हमेशा अटैक को ही बेस्ट डिफेंस मानते हैं. दुनिया को इस सनकी परिवार का ये तरीका बेहद डराता है. किम जोंग के दादा किम सुंग थे, जिन्होंने जंगल में सालों बिताए और गुरिल्ला वॉर के जरिए कोरिया में कम्युनिस्ट शासन स्थापित करने की कोशिश की. रूस और चीन की मदद से कामयाब भी रहे. लेकिन अमेरिका और पश्चिमी देशों के खुले हस्तक्षेप से दक्षिण कोरिया का हिस्सा आजाद हो गया. हालांकि उत्तर कोरिया का ख़तरा फिर भी बना रहा.
 
 
अमेरिका के लिए सबसे बड़ी बात रूस और चीन को मनाना-समझाना है क्योंकि चीन ने साफ-साफ कहा है कि उत्तर कोरिया पर हमले की सूरत में वो चुप नहीं बैठेगा और समय समय पर वो अपनी फौज की ताकत दुनिया को दिखाता रहता है ताकि अमेरिका ये ना समझे कि वो जो चाहेगा वो कर लेगा. उधर रूस ने अपना पत्ता तो नहीं खोला है लेकिन उसने बेलारुस के साथ अपनी सेना का जो अभ्यास शुरु किया है- उसका मकसद यही माना जा रहा है कि पुतिन अमेरिका को बताना चाहते हैं कि उ कोरिया को मिटाने में अमेरिका अगर लगा तो फिर देख लीजिए ये मेरी ताकत है. कहा जा रहा है कि कोल्ड वार के बाद रुस के ये सबसे बड़ा अभ्यास है.
 
दरअसल है क्या कि उत्तर कोरिया चीन का पिट्ठू देश बन गया है और उसके पास ख़तरनाक परमाणु हथियार हैं. हाइड्रोजन बम जैसे तबाही का सामान है और ये हथियार ऐसे लोगों के हाथ में है, जिन पर दुनिया को रत्ती भर भरोसा नहीं. वैसे दिल्ली और प्योगयांग के बीच की दूरी करीब 4600 किलोमीटर है. लेकिन भारत का बड़ा मित्र राष्ट्र जापान उसके ठीक बगल में है.
 
 
जापान अगर युद्ध में उलझता है तो भारत के लिए चुप रहना मुश्किल हो जाएगा. दक्षिण कोरिया को लेकर भी ऐसे ही हालात हैं. दूसरी तरफ चीन है जो चाहता है कि उत्तर कोरिया के नाम पर वो जापान-दक्षिण कोरिया के साथ-साथ हिन्दुस्तान का मुंह भी बंद करा दे.
 
वैसे भी 1938 के आखिर में जब हिटलर अपने शीर्ष पर था तब पूरे यूरोप को लग रहा था कि हिटलर जर्मनी की आंतरिक दिक्कत है. लेकिन देखते-देखते एक पतले-दुबले इंसान की ख़तरनाक सोंच पूरी दुनिया के लिए नासूर बन गई और चाहे-अनचाहे तौर पर दुनिया दो गुटों में बंट गई. एक बार फिर वैसे ही हालात हैं. भगवान न करे कि झड़प भी हो. लेकिन ऐसा कुछ हुआ तो शायद रण बड़ा भीषण होगा. चलते-चलते हम आपको दिनकर की उन पंक्तियों को याद दिला देते हैं कि 
भाई पर भाई टूटेंगे, विष वाण बूंद से छूटेंगे 
दुर्योधन रण ऐसा होगा…फिर कभी नहीं जैसा होगा

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