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अमिताभ बच्चन बर्थडे: जब बिग बी ने पिता हरिवंश राय बच्चन से पूछा- आपने मुझे पैदा ही क्यों किया?

इस सवाल का जवाब मांगने अमिताभ अपने पिता हरिवंश राय बच्चन के पास पहुंचे और उनसे कहा- आपने हमें पैदा ही क्यों किया? हरिवंश राय बच्चन एक बार को स्तबध रह गए लेकिन उस वक्त उन्होंने कुछ नहीं कहा. लेकिन अगली सुबह उन्होंने एक कागज पर कविता के माध्यम से इस सवाल का जवाब दिया

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  • Last Updated: October 11, 2017 11:33:02 IST
नई दिल्ली: हमारी और आपकी जिंदगी में भी एक ऐसा दौर आता है जब हम सोचते हैं कि आखिर हम पैदा ही क्यों हुए. ऐसा ही एक दौर अमिताभ बच्चन की जिंदगी में आया जब उन्हें ये महसूस होने लगा कि आखिर वो पैदा ही क्यों हुए. इस सवाल का जवाब मांगने वो अपने पिता हरिवंश राय बच्चन के पास पहुंचे और उनसे कहा- आपने हमें पैदा ही क्यों किया? हरिवंश राय बच्चन एक बार को स्तबध रह गए लेकिन उस वक्त उन्होंने कुछ नहीं कहा. लेकिन अगली सुबह उन्होंने एक कागज पर कविता के माध्यम से इस सवाल का जवाब दिया जिसे अमिताभ आज भी संभालकर रखे हुए हैं. अमिताभ बच्चन के 75वें जन्मदिन पर हम आपको उनकी 75 अनसुनी कहानियां बताने जा रहे हैं. पेश है इस कड़ी की 8वीं किश्त…
 
पैसे चुराकर रानी बेतिया की कोठी में क्यों घुसना चाहते थे अमिताभ?
 
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रानी बेतिया की कोठी के बगल में अमिताभ बच्चन का इलाहाबाद का मकान था. चूंकि उस कोठी के को ऊंची ऊंची दीवारों ने घेर रखा था. चौकीदार के अलावा उस घर का कोई वाशिंदा देखने को नहीं मिलता था, इसलिए उस कोठी को लेकर बचपन में अमिताभ के मन में काफी उत्सुकताएं थीं. इतनी ज्यादा कि वो कोठी रात को उनके सपनों में आने लगी. वो सोते सोते चिल्लाने लगते थे. कई बार उन्होंने उस कोठी में घुसने की कोशिश भी की लेकिन चॉकीदार ने डांट कर भगा दिया. एक बार तो वो अपने घर चार आना यानी पच्चीस पैसे का सिक्का चुराकर भाग गए, उस चौकीदार को देने कि पच्चीस पैसे ले लो लेकिन कोठी को अंदर से दिखा दो, वो अंदर घुस पाए ही कि नहीं लेकिन रानी बेतिया का ये महल उनकी यादों में आज तक शामिल है और वो इस घटना का जिक्र कई दोस्तों से कर चुके हैं.
होली पर जब हुआ बच्चन के साथ बड़ा हादसा
 
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कोई भी होली का त्यौहार हो और बच्चन का गाना रंग बरसै ना बजे तो ऐसा हो नहीं सकता. लेकिन बचपन में होली के दिन एक ऐसा वाकया हुआ कि अमिताभ बच्चन होली पर घर से बाहर निकलने से डरते रहे और तेजी उन्हें बाहर भेजने से. दरअसल हुआ यूं कि अमिताभ घर से दूर कहीं दोस्तों के साथ होली खेल रहे थे. कुछ बच्चे एक बैल को परेशान कर रहे थे, अचानक वो बैल भागता हुआ आया और अमिताभ उसकी चपेट में आ गए. अमिताभ का सर फट गया और हाथ पैरों में चोट लग गई. अमिताभ के भाई अजिताभ भागकर मां तेजी बच्चन के पास पहुंचे, तब तेजी खून से लथपथ अमिताभ को उठा कर डॉक्टर के पास ले गईं. उसके बाद कुछ साल तक होली के दिन तेजी उन्हें बाहर जाने से रोकती रहीं.
 
अमिताभ को बालरूम डांसिंग किसने सिखाई
 
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अमिताभ बच्चन आपको जितने क्लोज आज अपने पिता के नजर आते हैं, हर महफिल में अपने पिता की मधुशाला की लाइनें लिखते रहते हैं, ब्लॉग में पिता की रचनाएं लिखते रहते हैं, बचपन में ये मामला बिलकुल उलट था. अमिताभ ने बॉलीवुड में आने से पहले यानी जवान होने तक जो कुछ सीखा, वो उनकी मां ने सिखाया. क्या आप यकीन करेंगे कि अमिताभ की मां ने उन्हें वॉल रूम डांसिंग सिखाई? द वॉल्ट्ज और द फॉक्स ट्रॉट जैसे इंटरनेशनल वॉलरूम स्टाइल की डांस फॉर्म भी. एक दिन वो अमिताभ को जबरन दिल्ली के कनॉट प्लेस के गैलॉर्ड्स में लेकर गईं, उनकी डांसिंग स्किल को टेस्ट करने के लिए, अमिताभ को पकड़कर उन्हें खुद डांस फ्लोर पर खींचा. क्या आप यकीन करेंगे कि अमिताभ की मां उन्हें चार साल की उम्र से ही कार चलाना सिखाने लगीं. साथ ही उस उम्र में भी उन्हें चेतावनी देना भी नहीं भूलती थीं कि अगर बिना लाइसेंस के कार लेकर बाहर अकेले निकले तो बहुत पिटोगे. दरअसल अमिताभ की मां एक मॉर्डन लेडी थीं. वो एक्ट्रेस बनना चाहती थीं, म्यूजिक, डांस, बागवानी की शौकीन थीं. वो ये सारी क्वालिटी अपने बेटे को देना चाहती थीं. अमिताभ अक्सर उनके साथ थिएटर देखने जाया करते थे. इसी के चलते अमिताभ बॉलीवुड में अपने साथी सितारों से कई मामलों में शुरू से ही आगे थे.
 

हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या हुआ अमिताभ की जिंदगी में बड़ा चमत्कार?
 
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तेजी बच्चन जितनी मॉर्डन थीं, उतनी ही धार्मिक विचारों वाली भी. वो रोज हनुमान चालीसा और गुरु ग्रंथ साहेब दोनों पढ़ती थीं. तेजी बच्चन सिख परिवार से थीं. अमिताभ भी इन दोनों को सुनते पढ़ते ही बढ़े हुए थे. लेकिन उम्र के आखिरी दिनों में तेजी को डेमेंशिया और अल्जीमर जैसी बीमारियों ने घेर लिया, वो सब कुछ भूल गईं. उन्हें ये तक पता नहीं था कि उनके पति यानी हरिवंश राय बच्चन अब नहीं रहे और ना ही उन्हें ये पता था कि उनके नाती अभिषेक की शादी हो गई है. फिर एक दिन आया जब उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाना पड़ गया. स्टूडियो जाने से पहले हर सुबह अमिताभ हॉस्पिटल में उनके रूम में जाते और उनके कान में हनुमान चालीसा की दो पंक्तियां गुनगुनाते- जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीश तिहुं लोक उजागर. लेकिन एक दिन वो आया जबकि डॉक्टर्स ने हाथ खड़े कर दिए, उनकी धड़कनें जाने लगी थीं. सभी लोगों की आंखों में आंसू थे, हर कोई असहाय था.
 

तभी श्वेता ने उनके बैड के पास खड़े होकर अपने पर्स से हनुमान चालीसा की एक छोटी बुकलेट निकाली और जल्दी जल्दी से हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर दिया. आंखों से आंसू झर रहे थे और मुंह से हनुमान चालीसा. तभी मानो चमत्कार हो गया और तेजी बच्चन के दिल की धडकनें वापस आने लगीं. एकदम से सबके चेहरे पर एक्साइटमेंट बढ़ गया, डॉक्टर्स भी अपनी पूरी जान लगाने लगे, पूरे परिवार को बाहर भेज दिया गया. उस वक्त तो तेजी की सांसे वापस लौट आई थीं, लेकिन उन्हें जाना ही था और बाद में वो चली भी गईं. तबियत बिगडने पर ड़ॉक्टर्स ने फिर से उन ​की चैस्ट थम्पिंग शुरू की. तो अमिताभ ने उन्हें रोका- अब उनको जाने दो, वो काफी परेशान रही हैं. उन्हें अंतिम वक्त में अपनी मां के शरीर को परेशान करना अच्छा नहीं लग रहा था. इससे आप समझ सकते हैं कि बच्चन ने हनुमान चालीसा के लिए अपनी आवाज क्यों दी?
 
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जब अमिताभ ने अपने पिता से पूछा- आपने मुझे पैदा ही क्यों किया, तो क्या था पिता का जवाब?
 
एक बार अमिताभ बच्चन उसी दौर से गुजर रहे जिसमें यूथ परेशान हो जाता है कि करना क्या है, पहले पढ़ो, फिर जॉब ढूंढो, मन का कुछ करने को नहीं होता, कभी पैसे नहीं है, कभी कोई और दिक्कत है. ऐसे में अचानक युवा अमिताभ फ्रस्ट्रेशन से भर गए और गुस्से में जा पहुंचे अपने पिता के पास, स्टडी रूम में और बोले- आखिर आपने हमें पैदा ही क्यों किया? थोड़ा आश्चर्य से हरिवंश राय बच्चन ने उनको देखा और देखते रहे, कुछ नहीं कहा, अमिताभ ने भी उनसे आगे कुछ नहीं कहा. फिर अमिताभ रूम से बाहर चले गए. रात भर अमिताभ कभी गुस्से में कभी ग्लानि में करवटें बदलते रहे और सुबह सुबह जब वो गहरी नींद में थे तो उनके पिता उनके कमरे में आए, उन्हें जगाया और हाथ में एक कागज रखकर चले गए, और वो कागज अभी तक अमिताभ ने संभाल कर रखा हुआ है. उस कागज पर एक कविता थी, जिसमें अमिताभ के सवाल का जवाब था, कविता का नाम था नई लीक यानी नई जनरेशन आप भी पढिए…    
 
 

जिंदगी और जमाने की कशमकश से
घबराकर मेरे लड़के मुझसे पूछते हैं
‘हमें पैदा क्यों किया था?’
और मेरे पास इसके सिवा,
कोई जवाब नहीं था
मेरे बाप ने भी मुझसे बिना पूछे,
मुझे पैदा किया था
और मेरे बाप से बिना पूछे उनके बाप ने उन्हें…
जिंदगी और जमाने की कश्मकशक
पहले भी थी अब भी है, शायद ज्यादा,
आगे भी होगी, शायद और ज्यादा
तुम्ही नई लीक धरना,
अपने बेटों से पूछकर उन्हें पैदा करना !
 

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