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मकर संक्रांति के दिन ये कथा पढ़ने से दूर होंगे शनि दोष, जानें सूर्य देव को क्यों मिला श्राप

इस वर्ष मकर संक्रांति का पावन पर्व 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। इस दिन जप, तप और दान का विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य देव और शनि देव के संबंध तनावपूर्ण थे। इसका कारण सूर्य देव का शनि की माता छाया के प्रति कठोर व्यवहार था।

Makar sankranti 2025 14 january
inkhbar News
  • Last Updated: January 13, 2025 09:36:59 IST

नई दिल्ली: इस वर्ष मकर संक्रांति का पावन पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन जप, तप और दान का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किए गए दान का फल कई गुना बढ़कर प्राप्त होता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव शनि देव की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। घार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्य और शनि के संबंधों से जुड़ी पौराणिक कथा का पाठ करने से शनि दोष में कमी आती है।

सूर्य और शनि देव की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य देव और शनि देव के संबंध तनावपूर्ण थे। इसका कारण सूर्य देव का शनि की माता छाया के प्रति कठोर व्यवहार था। शनि देव का जन्म काले रंग का होने के कारण सूर्य देव ने उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया था। उन्होंने छाया और शनि देव को खुद से अलग कर दिया, जिससे छाया क्रोधित होकर सूर्य देव को कुष्ठ रोग का श्राप दे बैठीं।

makar sankrant 2025

इस श्राप से ग्रसित सूर्य देव ने जब अपनी गलती का एहसास किया, तो वह छाया और शनि से मिलने पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि उनका घर जलकर राख हो चुका था। शनिदेव ने अपने पिता सूर्य देव का स्वागत काले तिल से किया। शनिदेव के इस आदर भाव से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने उन्हें मकर राशि प्रदान की। इसके बाद से शनिदेव मकर और कुंभ, दोनों राशियों के स्वामी बन गए।

मकर संक्रांति का महत्व

कथा के अनुसार, सूर्य देव ने यह आशीर्वाद भी दिया कि मकर संक्रांति के दिन जो व्यक्ति उनकी पूजा में काले तिल का उपयोग करेगा, उसके जीवन में धन और समृद्धि की कोई कमी नहीं होगी। इस दिन दान, विशेषकर काले तिल, गुड़ और अन्न का दान व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि लाने वाला माना जाता है। बता दें मकर संक्रांति पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक परंपराओं और पौराणिक कथाओं से भी जुड़ा हुआ है.

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