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Muharram 2022 : कब मनाया जाएगा मुहर्रम का पर्व? जानें महत्व और इतिहास

नई दिल्ली : इस्लामिक नए कैलेंडर को हिजरी कैलेंडर कहा जाता है जिसके अनुसार अब इस्लामिक नए साल की शुरुआत हो चुकी है. बता दें, यह कैलेंडर ग्रैगेरियन कैलेंडर से 11 दिन छोटा होता है. इसमें 365 दिन नहीं बल्कि 354 दिन होते हैं. हर साल इस कैलेंडर की शुरुआत की तारिख भी बदलती रहती […]

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  • Last Updated: August 8, 2022 16:51:20 IST

नई दिल्ली : इस्लामिक नए कैलेंडर को हिजरी कैलेंडर कहा जाता है जिसके अनुसार अब इस्लामिक नए साल की शुरुआत हो चुकी है. बता दें, यह कैलेंडर ग्रैगेरियन कैलेंडर से 11 दिन छोटा होता है. इसमें 365 दिन नहीं बल्कि 354 दिन होते हैं. हर साल इस कैलेंडर की शुरुआत की तारिख भी बदलती रहती है. इस कैलेंडर के अनुसार साल का पहला महीना मुहर्रम के नाम से जाना जाता है. इस्लाम में इसे रमजान के बाद दूसरा सबसे पवित्र महीना माना गया है.

कब है मुहर्रम?

बीते वर्ष मुहर्रम 20 अगस्त को पड़ा था. इस साल यानी 2022 को मुहर्रम पर्व 8 या 9 अगस्त को मनाया जाएगा. मान्यता है कि मुहर्रम के 10वे दिन को आशुरा कहा जाता है जिस दिन भारत में ये त्योहार मनाया जाता है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस साल मुहर्रम कब पड़ रहा है और इसका महत्त्व व इतिहास क्या है.

मुहर्रम का महत्व

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, मुहर्रम, हिजरी कैलेंडर का पहला महीना होता है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार इस्लामिक साल की शुरुआत 622 AD के समय में हुई थी. इस महीने को शोक एक महीने के नाम से भी जाना जाता है. दरअसल इस महीने में इमाम हुसैन की शहादत हुई थी जो हुसैन पैगंबर मुोहम्मद के पोते थे. उन्हीं की शहादत को याद करते हुए मुस्लिम लोग इस दिन तजिया और जुलूस निकालते हैं. इस दिन को लोग मातम मनाते हुए खुद को पीटते हैं और अंगारों पर चलते हैं.

आशूरा का महत्व

आशूरा इस्लामिक इतिहास में शोक भरे दिनों के रूप में मनाया जाता है. ये दिन भी एक प्रकार से मातम का दिन है. इस दिन इमाम हुसैन की याद में भारत समेत पूरी दुनिया में शिया मुसलमान काले कपड़े पहनकर मातमी जुलूस निकालते हैं और पैगाम लोगों तक पहुंचाते हैं. मान्यता है कि इमाम हुसैन ने इस्लाम और मानवता की रक्षा के लिए ही अपनी कुर्बानी दी थी. यही कारण है कि इस दिन को आशूरा यानी मातम के दिन के रुप में मनाया जाता है.