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गुरु मंत्र: केतु के बुरे प्रभावों की पहचान और उनके उपाय

Guru Mantra: केतु जिनकी कुंडली में सही दिशा में होता है तो ये इंसान को व्यापार में मुनाफा दिलवाया है. वहीं इसका बुरा प्रभाव ये होता है कि केतु इंसान को चिड़चिड़ा व निकम्मा बना देता है. केतु अगर सूर्य के साथ मिले तो ये शुभ और ये अगर मंगल से मिल जाए तो पीड़ादायक बन जाता है.

Identification and remedies of bad effects of Ketu
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  • Last Updated: October 11, 2019 18:12:59 IST

नई दिल्ली. राहु-केतु दोनों ग्रह एक दूसरे के पूरक होते हैं. कहा जाता है कि अगर केतु इंसान को सोचने पर मजबूर करता है तो राहु उस सोच को लागू करवाता है. इंसान की गलत सोच व बुद्धि भ्रष्ट होने के पीछे भी इन दोनों ग्रहों का हाथ होता है.केतु और राहु का हमारी कुंडली से गहरा संबंध होता है. किसी इंसान की तरक्की के पीछे इन दोनों ग्रहों का हाथ होता है.

अक्सर लोग राहु या केतु से डरे रहते हैं. केतु को सभी ग्रहों में सबसे पीड़ादायक ग्रह माना जाता है. मायावी होने की वजह से केतु में लगभग सभी ग्रहों की झलक देखने को मिल जाती है. सूर्य के समान जलाने वाला, चंद्र के समान चंचल, मंगल के समान पीड़ाकारी, बुध के समान दूसरे ग्रहों से सीघ्र प्रभावित होने वाला, गुरु के समान ज्ञानी, शुक्र के समान चमकने वाला और शनि के समान एकांतवासी ग्रह है केतु. इन दोनों ग्रहों को पापी ग्रह के नाम से जाना जाता है. इन दोनों ग्रहों की खराब चाल व गलत दिशा इंसान को बर्बाद कर देती है.

केतु जिनकी कुंडली में सही दिशा में होता है तो ये इंसान को व्यापार में मुनाफा दिलवाया है. वहीं इसका बुरा प्रभाव ये होता है कि केतु इंसान को चिड़चिड़ा व निकम्मा बना देता है. केतु अगर सूर्य के साथ मिले तो ये शुभ और ये अगर मंगल से मिल जाए तो पीड़ादायक बन जाता है. जन्मकुंडली में मंगल व केतु का मिलन इंसान को सेहत व शारीरिक रूप से पीड़ा पहुंचाता है. वहीं केतु अगर बुध के साथ मिल जाए तो ये व्यक्ति की बुद्धि भ्रष्ट खराब कर देता है.

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