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खिलाड़ियों को ब्रॉडकॉस्टिंग राइट्स का मिलना चाहिए 26 फीसदी हिस्सा, BCCI देती है सिर्फ 8 %

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासनिक समीति ने जांच के दौरान पाया है कि बीसीसीआई ब्रॉडकास्टिंग राइट्स से जो पैसा कमाती है, उसका सही हिस्सा खिलाड़ियों के साथ नहीं बांटती है.

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  • Last Updated: October 30, 2017 05:42:08 IST
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासनिक समीति ने जांच के दौरान पाया है कि बीसीसीआई ब्रॉडकास्टिंग राइट्स से जो पैसा कमाती है, उसका सही हिस्सा खिलाड़ियों के साथ नहीं बांटती है. ब्रॉडकास्टिंग राइट्स का 26 फीसदी हिस्सा खिलाड़ियों को मिलना चाहिए लेकिन असल में  खिलाड़ियों को इसका सिर्फ आठ फीसदी हिस्सा सैलेरी और बोनस के रूप में मिलता है. ब्रॉडकास्टिंग राइट्स का 26 फीसदी हिस्सा खिलाड़ियों को देने का फैसला साल 2001 में बीसीसीआई की जनरल बॉडी मीटिंग में लिया गया था. साल 2004 में बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने अनिल कुंबले और राहुल द्रविड जैसे वरिष्ठ खिलाडियों की मौजूदगी में इसे लागू किया था. ब्रॉडकास्टिंग राइट्स के 26 फीसदी हिस्से को तीन हिस्सों में खर्च करना तय हुआ था. पहले 13 प्रतिशत हिस्से को अंतराष्ट्रीय खिलाड़ियों में, 10.6 फीसदी हिस्से को घरेलू खिलाड़ियों में और बाकी का पैसा महिला और जूनियर खिलाड़ियों को दिया जाना था.
 
टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के मुताबिक कहा है कि बीसीसीआई अपनी आय का 70 फीसदी हिस्सा स्टेट एसोसिशएन को देती है. बाकी के 30 फीसदी सकल आय में से 26 फीसदी हिस्सा खिलाड़ियों को देती है. बाकी बचे हुए पैसे का इस्तेमाल स्टेडियम बनाने, रखरखाव और बोर्ड को चलाने में किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी ने अपनी जांच में ये भी पाया है कि खिलाड़ियों को ज्यादातर कमाई स्पॉन्सरशिप राइट्स और आईसीसी के इवेंट में हिस्सा लेने से होती है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी खिलाड़ियों लंबे समय से ये फॉर्मूला बदलने की कोशिश कर रही है ताकि खिलाड़ियों को ज्यादा पैसे मिल सके लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या ये है कि बोर्ड के सदस्य जिन्हें बीसीसीआई कमाई का 70 फीसदी हिस्सा देती है वो सुप्रीम कोर्ट की नियुक्त कमेटी के साथ कमाई और खर्चे की जानकारी साझा नहीं कर रहे हैं. जब भी उनसे कमाई का ब्यौरा मांगा जाता है तो वो कहते हैं कि ये उनका पैसा है. 
 
बीसीसीआई अपनी सकल आय में से सिर्फ प्रोडक्शन लागत को हटा सकती है. इस सकल आय में से खिलाड़ियों को शेयर मिलना चाहिए लेकिन प्रोडक्शन लागत को हटाने के बाद बोर्ड 70 फीसदी हिस्सा काटती है. इसके अलावा आईपीएल से होने वाली कमाई कुल राजस्व का हिस्सा नहीं है जिसकी कमाई से से खिलाड़ियों का हिस्सा तय होता है. ये हिस्सा भी राज्य एसोसिएशन के साथ साझा किया जाता है. 
 
 
 

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