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गुजरात में चुनाव आचार संहिता की धज्जियां उड़ाते हुए कांग्रेस और BJP के पार्षदों ने बांटे नोट

वड़ोदरा: आचार संहिता की धज्जियां उड़ाते हुए शनिवार को कांग्रेस और बीजेपी के पार्षदों ने रविवार को लोगों के बीच पैसे बांटे. न्यूज एजेंसी एएनआई पर जारी की गई तस्वीरों में साफ नजर आ रहा है कि पार्षद लोगों को पैसे बांट रहे हैं. खबर के मुताबिक पैसे बांटने वाले कांग्रेस के पार्षद चिराग जवेरी […]

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  • Last Updated: October 30, 2017 08:20:21 IST
वड़ोदरा: आचार संहिता की धज्जियां उड़ाते हुए शनिवार को कांग्रेस और बीजेपी के पार्षदों ने रविवार को लोगों के बीच पैसे बांटे. न्यूज एजेंसी एएनआई पर जारी की गई तस्वीरों में साफ नजर आ रहा है कि पार्षद लोगों को पैसे बांट रहे हैं. खबर के मुताबिक पैसे बांटने वाले कांग्रेस के पार्षद चिराग जवेरी और बीजेपी के पार्षद कल्पेश पटेल शामिल हैं. गौरतलब है कि गुजरात में विधानसभा चुनावों की तारीखों का एलान हो चुका है. 9 दिसंबर को पहले और फिर 14 दिसंबर को गुजरात में दूसरे चरण का मतदान होना है. चुनाव की घोषणा के साथ ही राज्य में आचार संहिता लागू हो चुकी है. यानी अब गुजरात में किसी भी तरह या किसी भी रूप में जनता को पैसे बांटना या उन्हें तोहफे बांटना बिलकुल मना है. अगर ऐसा होता है तो ये सीधा-सीधा चुनाव आचार संहिता की अनदेखी होगी लेकिन आचार संहिता को ताक पर रखकर दोनों ही पार्टियों के पार्षदों ने खुलेआम जनता को पैसे बांटे. 
 
क्या होती है आचार संहिता?
 
चुनाव की घोषणा के बाद मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट यानी आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है. दरअसल इसके लागू होने के बाद राजनीतिक पार्टियों के कुछ नियमों का पालन करना होता है. आदर्श आचार संहिता दो तरह की होती है. पहली होती है साधारण आचार संहिता जिसमें मीटिंग और जुलूस के लिए जरूरी दिशानिर्देश दिए जाते हैं. इसके अलावा चुनाव के दिन या चुनावी कार्यक्रमों में किस तरह का आचरण रखना है इसकी जानकारी साधारण आचार संहिता में मिलती है.
 
आचार संहिता लागू होने के बाद सरकार या मंत्री पूर्व में मंजूर किए हुए किसी धन या अनुदान के अलावा कोई नया आदेश या कोई योजना शुरू नहीं कर सकता. इसके अलावा राजनीतिक पार्टी या प्रत्याशी को अगर कोई रैली करनी है या फिर जुलूस निकालना है तो पहले उसे चुनाव आयोग से परमिशन लेनी होगी और पुलिस को इसकी जानकारी देनी होगी. वोटरों को रिश्वत देने या डराकर या धमकार प्रत्याशी वोट नहीं ले सकते हैं. किसी धार्मिक स्थल जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च या गुरुद्वारे का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. 
 

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