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होली पर घर जाने की मारा-मारी, एक ही ट्रेन कोच में सवार हुए 400 परिवार

नई दिल्ली: भारत में रेलवे आम जनता के लिए लाइफलाइन का काम करती है. एक जगह से दूसरी जगह पर जाने के लिए ट्रेनें बहुत बड़ा नेटवर्क उपलब्ध करवाती हैं. इसी रेलवे सिस्टम को लेकर सरकार भी बड़े-बड़े दावे करती आई है. जहां बुलेट ट्रेन चलाने की बात की जा रही है लेकिन दूसरी ओर […]

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  • Last Updated: March 6, 2023 17:55:21 IST

नई दिल्ली: भारत में रेलवे आम जनता के लिए लाइफलाइन का काम करती है. एक जगह से दूसरी जगह पर जाने के लिए ट्रेनें बहुत बड़ा नेटवर्क उपलब्ध करवाती हैं. इसी रेलवे सिस्टम को लेकर सरकार भी बड़े-बड़े दावे करती आई है. जहां बुलेट ट्रेन चलाने की बात की जा रही है लेकिन दूसरी ओर त्योहारों पर घर जाने के लिए लोगों को संकट का सामना करना पड़ रहा है. कानपुर सेंट्रल पर इसी तरह का दृश्य देखने को मिला जहां लोगों के बीच बिहार जाने वाली विक्रमशिला एक्सप्रेस में चढ़ने के लिए मारामारी तक हो गई. एक अनुमान के अनुसार इस कोच में एक ही समय में 400 से अधिक परिवार सवार हो गए थे.

 

दूसरे कोच में करना पड़ा शिफ्ट

भारत में त्योहारों के समय में इसी तरह का नज़ारा देखने को मिलता है जहां ट्रेन में चढ़ने और उतरने वाले तो दूर ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों के बीच मारामारी देखी जा रही है. जानकारी के अनुसार ज़्यादा यात्री दिल्ली से ट्रेन में सफर करते हुए आ रहे थे. इस दौरान कोच पर इतना भार बढ़ गया कि उसकी स्प्रिंग ही बैठ गई. आखिर में कानपुर सेंट्रल स्टेशन को सूचना दी गई और आरपीएफ के पुलिस वालों ने आकर कोच को खाली करवाया. उन्हें दूसरे कोच में शिफ्ट करवाया गया और फिर ट्रेन आगे बढ़ी.

त्योहार की वजह से बढ़ता है दबाव

कानपुर सेंट्रल के सीटीएम आशुतोष सिंह ने बताया कि ट्रेन दिल्ली से ही पूरी तरह से भरकर आई थी. पहले से ही S3 कोच में यात्री सैकड़ों की संख्या में मौजूद थे. कुछ और यात्री कानपुर में उस कोच में सवार हो गए, इस वजह से ट्रेन की स्प्रिंग लोड नहीं उठा पाई और बैठ गई. RPF के जवानों ने फिर यात्रियों को एक कोच से दूसरे कोच में शिफ्ट किया. उन्होंने बताया कि एक डिब्बे में 72 सीट हैं, त्योहार के चलते एक एक सीट पर 6 से अधिक लोग बैठ जाते हैं. भीड़ होने की वजह से कई यात्री बाथरूम में बैठ गए, जब व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ गई तब टीम को आना पड़ा.

गौरतलब है कि त्योहारों की वजह से भारतीय रेलवे को बहुत दबाव झेलना पड़ता है. एक राज्य से दूसरे राज्य तक लोग काफी लंबा सफर तय कर अपने घर होली, दिवाली जैसे त्योहार मनाने जाते हैं.

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