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छह करोड़ से ज़्यादा नैनो यूरिया की बोतल का हुआ उत्पादन, बाजार में जल्द होगी उपलब्ध

नई दिल्ली : सरकार आने वाले दिनों में किसानों को राहत देने वाली है. केंद्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि परंपरागत फर्टिलाइजर की जगह जल्दी ही नैनो फर्टिलाइजर ले लेगी. इसका उपयोग करने से मिट्टी की सेहत सुधरेगी और प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी. इसका उपयोग करने से किसानों को काफी फायदा […]

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  • Last Updated: February 14, 2023 22:41:08 IST

नई दिल्ली : सरकार आने वाले दिनों में किसानों को राहत देने वाली है. केंद्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि परंपरागत फर्टिलाइजर की जगह जल्दी ही नैनो फर्टिलाइजर ले लेगी. इसका उपयोग करने से मिट्टी की सेहत सुधरेगी और प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी. इसका उपयोग करने से किसानों को काफी फायदा होगा और पैदावार बढ़ेगी जिससे कि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.

किसानों को मिलेगी राहत

केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि अभी डीएपी खाद की कीमत 1350 रुपये बोरी में मिलती है. उतनी ही क्षमता नैनो डीएपी की होगी जिसकी कीमत 600 से 700 रुपये प्रति बोतल होगी. नैनो डीएपी की बोतल मार्केट में आ जाने से कृषि क्षेत्र में क्रांति आ सकती है. इससे किसानों का काफी फायदा होगा और खेती में लागत कम आएगी. मनसुख मंडाविया ने यूपी की फूलपुर और आंवला स्थित 2 अलग-अलग नैनो यूरिया के संयंत्रों का उद्घाटन किया.

पर्यावरण को होगा काफी फायदा

नैनो डीएपी का प्रयोग बीज में मिलाकर किया जा सकता है. जो किसानों के लिए और भी फायदेमंद वाला साबित होगा. इफको के नैनो DAP fertilizer को शुक्रवार को कामर्शियल रिलीज की मंजूरी मिल गई है. 50 किलोग्राम वाली DAP की एक बोरी की वास्तविक कीमत 4000 रुपये है. सरकारी सब्सिडी से किसानों का यह बोरी 1350 रुपये में मिलती है. 50 किलोग्राम की बोरी वाली डीएपी की जगह अब 500 मिली की बोतल में नैनो डीएपी की समा जाएगी. इससे किसानों को कई तरह के लाभ होंगे.

बाजार में जल्द होगी उपलब्ध

मनसुख मंडाविया ने कहा कि इसमें IFFCO प्रबंधन ने काबिले तारीफ प्रदर्शन करते हुए इसे सफल बना दिया.इसमें कमेटी दर कमेटी से अप्रूवल लेनी थी,जो प्राप्त की गई. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह ग्रीन टेक्नोलॉजी आधारित उत्पाद है. निर्धारित सभी मानकों पर नैनो यूरिया सफल रही, जिसका नतीजा है कि देश में छह करोड़ से अधिक नैनो यूरिया की बोतल का उत्पादन किया गया और किसानों ने इसे स्वीकार किया. हालांकि किसानों को इसके प्रति जागरूक बनाने की दिशा में लगातार प्रयास जारी है.

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