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शिंदे पर बरसे आदित्य ठाकरे, बोले- गद्दारों के सवालों के जवाब नहीं दूंगा

मुंबई, एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के चलते महाराष्ट्र की सत्ता से बेदखल हुआ ठाकरे परिवार अब बेहद सक्रिय हो गया है, शिवसेना को बचाने के लिए आदित्य ठाकरे ‘शिव संवाद यात्रा’ निकाल रहे हैं. आदित्य की यह यात्रा शुक्रवार को नासिक जिले के मनमाड पहुंची, जहां उन्होंने एक रैली को संबोधित करते हुए शिवसेना […]

Aditya Thackeray attacks Shivsena
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  • Last Updated: July 22, 2022 18:25:38 IST

मुंबई, एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के चलते महाराष्ट्र की सत्ता से बेदखल हुआ ठाकरे परिवार अब बेहद सक्रिय हो गया है, शिवसेना को बचाने के लिए आदित्य ठाकरे ‘शिव संवाद यात्रा’ निकाल रहे हैं. आदित्य की यह यात्रा शुक्रवार को नासिक जिले के मनमाड पहुंची, जहां उन्होंने एक रैली को संबोधित करते हुए शिवसेना के बागियों पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि शिवसेना से गद्दारी करने वाले हमसे सवाल पूछने की बातें कर रहे हैं, लेकिन क्या वे सवाल पूछने लायक हैं. गद्दारों को तो खुद यह बताना चाहिए कि उन्होंने पीठ में खंजर भोंकने का काम क्यों किया बालासाहेब की विरासत को धोखा क्यों दिया?

क्या खंजर घोंपना सही था ?

आदित्य ठाकरे ने आगे कहा कि अगर वे देशद्रोही नहीं होते, तो मैं उनके आरोपों और सवालों का जवाब ज़रूर देता. बता दें कि नासिक से एकनाथ शिंदे गुट के विधायक सुहास कांडे ने आज ही ऐलान किया था कि वह आदित्य ठाकरे से सवाल पूछने जा रहे हैं, ऐसे में आदित्य ठाकरे के बयान को कांड के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. इस मौके पर आदित्य ठाकरे ने बागी विधायकों को एक बार फिर देशद्रोही कहा. उन्होंने सवाल दागते हुए कहा कि एक अच्छे मुख्यमंत्री, एक अच्छे आदमी के साथ जो किया गया, क्या वह सही था, क्या वह न्यायोचित था. उन्हें बताना चाहिए कि क्या इस तरह से विश्वासघात करना चाहिए या पीठ में खंजर घोंपना चाहिए.

गद्दार बताएं क्यों दिया धोखा ?

आदित्य ठाकरे ने कहा कि उन गद्दारों को यह बताना चाहिए जिस शख्स ने उनका परिचय कराया, मुश्किल वक्त में उनका साथ दिया, टिकट दिया, और उनके लिए प्रचार किया, उन्होंने आखिर उसकी पीठ में छुरा क्यों मारा? उन्होंने कहा कि उद्धव ने बीते ढाई साल तक जमकर किया और लोगों को अपना पल-पल समर्पित कर दिया. 24 घंटे लोगों की सेवा की, उन्होंने ढाई साल का एक-एक पल जनसेवा के नाम कर दिया. आदित्य ठाकरे कहते हैं, “कभी-कभी मैं अपनी मां के पास जाता था और इस बारे में बहस भी करता था. मैं उन्हें बहुत सी बातें बताना चाहता था, लेकिन उद्धव ठाकरे हमेशा बैठकों और काम में व्यस्त रहते थे उनके पास समय ही नहीं था और जब मैं उनसे बात करने जाता था तो वह कहते थे, ‘काम की बात करो, राज्य की बात करो.”

 

 

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