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Pradosh Vrat 2024: जानिए कब है फरवरी माह का पहला प्रदोष व्रत, भगवान शिव की होती है कृपा

नई दिल्ली। प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) रखकर भगवान शंकर की पूजा करना बेहद फलदायी माना जाता है। प्रत्येक माह के त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखते हैं। इसी वजह से हर माह 2 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के दिन विधि-विधान के साथ भगवान शिव की पूजा करने […]

Pradosh Vrat 2024: Know when is the first Pradosh Vrat of the month of February, it is blessed by Lord Shiva.
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  • Last Updated: February 2, 2024 19:43:33 IST

नई दिल्ली। प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) रखकर भगवान शंकर की पूजा करना बेहद फलदायी माना जाता है। प्रत्येक माह के त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखते हैं। इसी वजह से हर माह 2 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के दिन विधि-विधान के साथ भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा करना अत्यंत शुभ होता है। इस दिन लोग पूरे मन से भोलेनाथ की पूजा करते हैं। आइए जानते हैं फरवरी माह में प्रदोष व्रत कब है और पूजा का शुभ समय क्या है?

फरवरी माह का पहला प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024)

पंचांग के मुताबिक, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तारीख 7 फरवरी, दोपहर 02 बजकर 02 मिनट पर शुरू होगी। जो कि अगले दिन 8 फरवरी को सुबह 11 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। बता दें कि माघ महीने में फरवरी में पड़ने वाला पहला प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) 7 फरवरी 2024 को है। इस दिन बुधवार है, इस वजह से यह बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) और सौम्यवारा प्रदोष व्रत कहा जाएगा। 7 फरवरी को प्रदोष काल शाम के 6 बजकर 18 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। बुध प्रदोष व्रत के दिन बच्चों की बुद्धि के लिए सुबह और शाम के समय भगवान गणेश के सामने हरी इलायची अर्पित करें और 27 बार ॐ बुद्धिप्रदाये नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।

कब है फरवरी का दूसरा प्रदोष व्रत?

पंचांग के मुताबिक, माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 21 फरवरी को सुबह 11 बजकर 27 मिनट से 22 फरवरी को 1 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन शाम के 6 बजकर 26 मिनट से 8 बजकर 56 मिनट तक प्रदोष (Pradosh Kaal) काल माना जा रहा है।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष का व्रत (Pradosh Vrat 2024) रखने के लिए प्रात: जल्दी उठकर व्रत का संकल्प करें। स्नान के बाद मंदिर में दीया जलाएं। शाम को प्रदोष काल में पूरे विधि-विधान से भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करें। बुध प्रदोष के दिन भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व माना गया है।

(Disclaimer: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। जिसका किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं की गई है। यहां दी गई किसी भी जानकारी या मान्यता पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)

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