Inkhabar
  • होम
  • राज्य
  • कानपुर ट्रेन हादसा: अंकेश हादसे में बच तो गया लेकिन लाशों के बीच बैठकर पहुंचा घर

कानपुर ट्रेन हादसा: अंकेश हादसे में बच तो गया लेकिन लाशों के बीच बैठकर पहुंचा घर

एक मां के लिए ये सुनना कैसा रहा होगा कि इतने बड़े हादसे में उसका बेटा बाल-बाल बच गया है. जरा सोचिए जब एक मां को ये बात पता चला होगा कि उसका बेटा मौत को मात देकर उसके पास वापस आ रहा है तो उसे कैसे लगा होगा?

Patna Indore Express, list of injured passengers, Kanpur, Pukhrayan, Patna-Indore express Derails, Indore-Patna Express Kanpur TrainTragedy, Indore Patna Express, Kanpur Victims of Train Accident, Casulty in Kanpur
inkhbar News
  • Last Updated: November 21, 2016 04:27:48 IST
पटना. एक मां के लिए ये सुनना कैसा रहा होगा कि इतने बड़े हादसे में उसका बेटा बाल-बाल बच गया है. जरा सोचिए जब एक मां को ये बात पता चला होगा कि उसका बेटा मौत को मात देकर उसके पास वापस आ रहा है तो उसे कैसे लगा होगा?
 
 
रविवार को कानपुर में भीषण ट्रेन हादसा हुआ. इंदौर-पटना एक्सप्रेस में घायल यात्रियों कि लिस्ट बढ़ते जा रही है वहीं इस घटना में अब तक 128 लोगों की मौत हो गई है जबकि 150 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है. लेकिन दूसरी तरफ कई ऐसे है घर हैं जो अपने परिजन को अपने पास देखकर खुशी के आंसू रोक नहीं पा रहे हैं.
 
 
यह कहानी भी एक ऐसे ही घर की है जिसे अपने बेटे को देखकर किसी अजूबा से कम नहीं लगा. कानपुर से एंबुलेंस में आ रहे शवों के साथ ही आया था दुर्घटना में घायल हुआ गोड्डा का अंकेश कुमार. भोपाल से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे अंकेश ने भोपाल स्टेशन से शनिवार की रात इंदौर-पटना एक्सप्रेस की पकड़ी थी.
 
 
अपने व्यक्तिगत काम से पटना आ रहे अंकेश को कहां मालूम था कि वो अपनी आंखों से देखता हुआ लाशों के बीच पटना पहुंचेगा. अंकेश ट्रेन के एस थ्री डिब्बे में सवार था. आपको बता दें कि एस थ्री डिब्बा भी बुरी तरह दुर्घटनाग्रस्त होने वाले डिब्बों में से एक था.
जिनमें बिहार के 16 व्यक्तियों को मृत घोषित कर सोमवार की तड़के स्पेशल एंबुलेंस के जरिए पटना लाया गया. अंकेश ट्रेन के एस थ्री डिब्बे में सवार था. आपको बता दें कि एस थ्री डिब्बा भी बुरी तरह दुर्घटनाग्रस्त होने वाले डिब्बों में से एक था.
 
कानपुर ट्रेन हादसा अंकेश की आंखों देखी 
 
अंकेश दुर्घटना के बाद जब उसे होश आया तो चारो ओर चीख पुकार मची थी. जहां भी नजर जाती खून से सना आदमी दिखता. उन सबके बीच जब उसने खुद को उपर से नीचे देखा तो पहली नजर में भरोसा ही नहीं कर पाया. पैर से खून निकल रहा था. गर्दन एक तरफ से दूसरी तरफ नहीं जा रहा था. बावजूद उसके वो हिम्मत करके उठा. कुछ लोगों की मदद भी की. लेकिन जब उठने की हालत में नहीं रहा तो एक जगह बैठ गया. उसके बाद का नजारा अभी भी अंकेश की आंखो के सामने घूम रहा है. इसीलिए वह अब आंख भी नहीं खोलना चाहता.
 
सूचना मिलते ही गोड्डा से बस पकड़ कर परिजन भी पटना स्टेशन आ चुके थे अपने बेटे को देखने. बिलखते हुए भागी-भागी जब अंकेश की मां ने उसे कुर्सी पर बैठा देखा तो गले से लगा लिया. लोग मना कर रहे थे कि अंकेश पर ज्यादा दबाव नहीं डाला जाए. पर मां-बेटे दोनो लिपट कर रोने लगे. सबकी आंखों में आंसू आ गए.
 
अंकेश कैसे पहुंचा लाशों के बीच
बुरी तरह घायल हुए अंकेश का इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा था. जब वहां के कर्मियों के द्वारा उसे सूचाटना मिली की बचे हुए यात्रियों को लेकर एक ट्रेन पटना जा रही है. उसने भी घर जाने की इच्छा जता दी. लेकिन देर हो गई थी, इसीलिए ट्रेन छूट गई. अधिकारियों से जिद किया. बाद में अंकेश को लाशों वाले एंबुलेंस में बिठाकर पटना भेजा गया
 

Tags