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जिंदगी ना मिलेगी दोबारा: तांगा चलाने वाला मामूली शख्स कैसे बना अरबों का मालिक

एमडीएच मसालों का नाम लेंगे तो आपको एक बुढ़ा शख्स नजर आएगा जिसके सिर पर पगड़ी है और वो मसालों का विज्ञापन कर रहा है. जी हां, यही हैं महाशय धर्मपाल गुलाटी जो बिजनेसमैन होने के साथ साथ समाजसेवी भी हैं.

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  • Last Updated: September 15, 2017 14:33:08 IST
नई दिल्ली: एमडीएच मसालों का नाम लेंगे तो आपको एक बुढ़ा शख्स नजर आएगा जिसके सिर पर पगड़ी है और वो मसालों का विज्ञापन कर रहा है. जी हां, यही हैं महाशय धर्मपाल गुलाटी जो बिजनेसमैन होने के साथ साथ समाजसेवी भी हैं. 
 
महाशय जी के नाम से जाने जाने वाले धर्मपाल गुटाली का जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में 1922 को मोहल्ला मियानापुर में हुआ. बंटवारे के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया और फिर उन्होंने मसाले का काम शुरू किया और आज एमडीएच मसाले देश ही नहीं बल्कि दुनिया में मसालों के लिए जाना जाता है.  
 
इंडिया न्यूज के खास कार्यक्रम जिंदगी ना मिलेगी दोबारा में आज मिलिए 94 साल के नौजवान महाशय धर्मपाल से. इन्हें 94 साल का नौजवान यूं ही नहीं कहा जाता, उसके पीछे कारण है कि महाशय धर्मपाल इस उम्र में भी उतने ही फुर्तीले और उर्जा से भरे हुए हैं जितना शायद आज के समय का नौजवान भी ना हो. 
 
 
बंटवारे के बाद दिल्ली में 2 आने किराया लेकर तांगा चलाने वाले महाशय धर्मपाल ने मसालों का कारोबार शुरू किया. धीरे धीरे उनके मसालों की शुद्धता लोगों की जुबान पर चढ़ गई और उनका एमडीएच मसाला घर घर में इस्तेमाल होने लगा. 1959 में महाशय धर्मपाल ने दिल्ली के कीर्ति नगर में मसाला पीसने की फैक्ट्री लगाई और फिर कारवां चलता चला गया. आज एमडीएच की देशभर में 15 फैक्ट्री है.
 
इसके अलावा लंदन, अमेरिका और दुबई में भी एमडीएच का ऑफिस है. महाशय धर्मपाल आज भी अपना पूरा कारोबार खुद देखते हैं. वो सुबह 4:30 बजे उठते हैं रात 11 बजे सोते हैं. इस बीच सारा दिन वो खुद ही एमडीएच का पूरा कारोबार देखते हैं. सभी जरूरी कागजों पर साइन करते हैं और लोगों से मिलते हैं. 
 
 
 
 

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