गौरतलब है कि पिछले साल अप्रैल में अपनी पार्टी का
कांग्रेस में विलय कर लिया था. परिवार ने दावा किया था कि कांग्रेस ने उनके पोते को धुरी और संगरूर सीट से टिकट देने का वादा किया है. लेकिन कांग्रेस ने बरनाला के पोते को धुरी से टिकट देने से मना कर दिया जिसके बाद से ही बरनाला परिवार राजनीतिक संभावनाएं तलाश कर रहा था.
गौरतलब है कि चार फरवरी को
पंजाब की 117 सीटों के लिए वोटिंग होनी है, ऐसे में तमाम राजनीतिक पार्टियां सियासी समीकरण को साधने की जुगत लगा रही है.
बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने बरनाला परिवार में से किसी को भी टिकट नहीं दी थी जिसके बाद बरनाला परिवार राजनीतिक विकल्पों की तलाश कर रहा था.