मुंबई: महाराष्ट्र में पिछले दो दिन से चल रहे किसान आंदोलन को शनिवार सुबह वापस लेने की घोषणा किसान नेता राजू शेट्टी ने की थी. राजू शेट्टी और दूसरे किसान नेताओ ने शुक्रवार देर रात मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के साथ हुई बैठक के बाद सरकार की तरफ से मिले आश्वानों पर संतोष जता कर हड़ताल वापस लेने का ऐलान किया था.
शनिवार दोपहर आंदोलन में शामिल राष्ट्रीय किसान सभा ने मीडिया के सामने आकर कहा कि आंदोलन को वापस नही लिया गया है. किसान सभा ने मुख्यमंत्री के साथ बैठक करने वाले किसान नेताओं पर आरोप लगाया कि वो सरकार के हाथ बिक गए हैं. जिन मांगो को लेकर ये आंदोलन छेड़ा गया था उसमें से एक भी मांग सरकार ने नहीं मानी हैं.
किसान सभा ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी मांग किसानों के कर्ज माफी को लेकर थी जिसके बारे में सरकार का रवैया उदासीन था. किसान महासभा ने ऐलान किया है कि सरकार के खिलाफ हमारा आंदोलन जारी रहेगा. जब तक किसानों का कर्ज माफ नहीं हो जाता, हमारा आंदोलन जारी रहेगा.
बता दें कि महाराष्ट्र में जारी किसानों की हड़ताल अब खत्म हो गई थी. मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद किसानों ने हड़ताल खत्म कर दी थी. सरकार ने किसानों की मांगें मानते हुए 31 अक्टूबर तक कर्ज माफ करने का आश्वासन भी दिया है. फड़नवीस के निवास स्थान पर शेतकरी संगठन के साथ किसानों के कर्ज माफी को लेकर चर्चा हुई. बैठक में कहा गया कि किसानों की समस्याओं का हल निकाला जाएगा.
साथ ही साथ राज्य सरकार किसानों के लिये एक समिति बनाएगी. किसानों की जो लागत होगी उससे कम भाव देना अब अपराध माना जाएगा और पुलिस में मामला दर्ज किया जाएगा. कृषी मूल्य आयोग बनाया जाएगा और इस बारे में 20 जून तक निर्णय लिया जाएगा. बिजली में भी सहूलियत दी जाएगी.
महाराष्ट्र में कर्जमाफी और फसल के सही मूल्य की मांग को लेकर किसान पिछले दो दिनों से हड़ताल पर थे, जिसकी वजह से जनता को काफी परेशानी हो रही थी. शुक्रवार को पूरे महाराष्ट्र में किसानों ने उग्र आंदोलन कर दिया था. किसानों ने टैंकर भर दूध सड़कों पर बहा कर, रोड पर फल और सब्जी फेंक कर विरोध प्रदर्शन किया था.
किसानों की हड़ताल की वजह से बाजार में सब्जियों के दाम दोगुने हो गए थे. हड़ताल की वजह से हर सब्जियों के दाम 10 से 20 रुपए बढ़ गए थे. मुंबई के दादर थोक मार्केट में सबसे ज्यादा शिमला मिर्च के दाम बढ़े थे. एक दिन पहले 40 रुपए किलो थी शिमला मिर्च तो शुक्रवार को 80 रुपए हो गई थी.
बता दें कि महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार यहां के किसान हड़ताल पर गए थे. हड़ताल के तहत किसान बाजारों और मंडियों में साग-सब्जी और दूध बेचने नहीं जा रहे थे. किसानों की हड़ताल के चलते साग-सब्जी, दूध और रोजमर्रा की दूसरी जरूरी चीजों की आपूर्ति ठप होने से लोगों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा था.