नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने गुरुवार को कर्मचारियों और नियोक्ताओं द्वारा कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) योजना के लिए योगदान की कुल दर को कम करने की घोषणा की. ये दो दशकों में पहली बार 6.5 प्रतिशत से 4 प्रतिशत तक कम की गई है. इस कदम से लगभग 1.3 मिलियन नियोक्ताओं को लाभ होने की उम्मीद है. कर्मचारी के राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के प्रावधानों के अनुरूप, कर्मचारियों के लिए उनके योगदान की दर में 40 प्रतिशत की कमी देखी जाएगी.
कर्मचारी के मासिक वेतन का लगभग 4.75 प्रतिशत नियोक्ता के योगदान के रूप में और कर्मचारी की आय का 1.75 प्रतिशत कर्मचारी के हिस्से के रुप में ईएसआई योजना के तहत जाता है. ये दर अब कम हो गई है. अब 3.25 प्रतिशत नियोक्ता का हिस्सा होगा और 0.75 प्रतिशत कर्मचारी का. यह 1 जुलाई 2019 से प्रभावी होगा. इस बारे में जानकारी देते हुए सरकार ने कहा कि 36 मिलियन कर्मचारियों और 1.28 मिलियन नियोक्ताओं को दर कम होने से लाभ होगा.
इस कदम को श्रम और रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने मंजूरी दे दी है. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में भाग लेने के लिए मंगलवार को स्विट्जरलैंड जाने से पहले इसपर सहमति दे दी है. ईएसआई अधिनियम का प्रबंधन करने वाले कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) ने फरवरी में बीमा योजना के लिए श्रमिकों के योगदान की कुल दर 6.5 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने की सिफारिश की थी. हालांकि, श्रम और रोजगार मंत्रालय योगदान दर को 4 प्रतिशत तक कम करके एक कदम आगे निकल गया.
सरकार ने एक बयान में कहा, योगदान की कम दर से श्रमिकों को काफी राहत मिलेगी और इससे ईएसआई योजना के तहत श्रमिकों के नामांकन में और आसानी होगी और अधिक से अधिक कर्मचारियों की संख्या बढ़ेगी. ईएसआईसी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इस कदम से 8,000 करोड़ रुपये से 9000 करोड़ रुपये का बोझ 1 मिलियन नियोक्ताओं के लिए कम हो जाएगा. अधिकारी ने कहा कि ईएसआईसी ने 2018-19 में ईएसआई योजना के लिए नियोक्ताओं से 22,279 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे.